बीमा पॉलिसियों को डिजिटल रूप दें इरडा: चिदंबरम

बीमा पॉलिसियों को डिजिटल रूप दें इरडा: चिदंबरम

हैदराबाद : वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) को जीवन बीमा और गैर जीवन बीमा दोनों प्रकार की पॉलिसियों के लिए डिजिटलीकरण को अनिवार्य करने पर विचार करना चाहिए।

चिदंबरम ने आज यहां इरडा की बीमा रिपॉजिटरी प्रणाली का उद्घाटन करते हुए कहा, गैर जीवन बीमा को भी रिपाजिटरी का हिस्सा बनना चाहिए। फिलहाल मैं कहूंगा कि यह स्वैच्छिक आधार पर होना चाहिए। यह सही होगा कि इसे स्वैच्छिक आधार पर शुरू किया जाना चाहिए। लेकिन स्वैच्छिक आधार पर डिजिटलीकरण ज्यादा समय तक नहीं चल सकता। उन्होंने कहा, हमने डिपाजिटरी प्रणाली में स्वैच्छिक डिजिटलीकरण और कागजी प्रणाली को खत्म करने से शुरआत की है और हम जल्द अनिवार्य की ओर बढ़े।

चिदंबरम ने कहा, मैं इरडा चेयरमैन से कहूंगा कि वह स्वैच्छिक डिजिटलीकरण को अनिवार्य करने की समयसीमा घोषित करें। पहले इसकी शुरुआत जीवन बीमा पॉलिसियों से होनी चाहिए और बाद में इसे गैर बीमा पॉलिसियों तक ले जाया जाना चाहिए। डिजिटलीकरण के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि जब लोग ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर जाते हैं तो अपनी पहचान गंवा देते हैं। कई मामलों में तो पहचान स्थापित करना काफी मुश्किल हो जाता है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह के मामलों में रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण काफी महत्वपूर्ण विकल्प साबित होगा।

इस बीच, इरडा ने कहा है कि बीमा रिपाजिटरी प्रणाली (आईआरएस) दुनिया में अपने किस्म की पहली प्रणाली है। इरडा ने इसके लिए हाल में 5 कंपनियों को बीमा कोष चलाने की मान्यता दी और उन्हें इसके लिए लाइसेंस प्रदान किये। यह लाइसेंस 31 जुलाई, 2014 तक के लिए हैं।

चिदंबरम ने यह भी बताया कि उन्होंने बीमा कंपनियों से बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में अपने कार्यालय खोलने को कहा है जिससे प्रभावित लोगों के दावों का निपटान जल्द किया जा सके। अपने संबोधन में इरडा के चेयरमैन टी एस विजयन ने कहा कि भारत में बीमा की पहुंच 3.9 प्रतिशत पर है, जबकि वैश्विक औसत 6.5 फीसदी है। इस लिहाज से भारत में बीमा क्षेत्र के विकास की काफी संभावनाएं हैं।

आईआरएस प्रणाली के तहत जोड़ी गयी इन 5 कंपनियों में एनएसडीएल डेटा-बेस मैनेजमेंट लिमिटेड, सेंट्रल इंश्योरेंस रिपॉजिटरी लिमिटेड, एसएचसीआईएल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, सीएएमएस रिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड और कार्वी इंश्योरेंस रिपॉजिटरी लिमिटेड शामिल हैं।

इरड़ा के निर्देशों के अनुसार बीमा कंपनियां इनमें से किसी एक या एक से अधिक कंपनी के साथ मिलकर ग्राहकों को बीमा रिपॉजिटरी (कोष) सेवा प्रदान कर सकती हैं। इसके तहत पॉलिसी धारकों को अपनी बीमा पॉलिसी के कागजी दस्तावेज संभालने के बजाय उसे इलेक्ट्रिानिक रूप से रखने की सुविधा होगी।

यह डिपॉजिटरी कंपनियां ग्राहकों को उनकी पॉलिसी के लिए एक विशेष कोड नंबर जारी करेंगी और उनकी पॉलिसियां उसी कोड नंबर के तहत रखी जाएंगी। डिपॉजिटरी, उनके दावे, उत्तराधिकारियों, लाभार्थियों और अन्य संबंधित आंकड़ों का कोष संभालकर रखेंगी। (एजेंसी)

First Published: Monday, September 16, 2013, 21:38

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