Last Updated: Tuesday, November 29, 2011, 13:49
नई दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को कहा कि ब्याज दरों में वृद्धि और मुद्रास्फीति में कमी आने का आपस में कोई संबंध नहीं है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मौद्रिक नीति उपायों का महज यह मकसद नहीं होता है कि मुद्रास्फीति के दबावों का नियंत्रण किया जाए। उन्होंने नरेश चंद्र अग्रवाल के सवालों के जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति संबंधी दरों में बढोतरी का उद्देश्य समग्र मांग को कम करके स्थूल अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना है। ऐसा केवल स्फीतिकारी दबावों को नियंत्रित करने के लिए ही नहीं बल्कि मुद्रास्फीति की संभावनाओं को कम करने के लिए भी किया जाता है। इसलिए ब्याज दरों में वृद्धि की मात्रा और महंगाई के स्तर में कमी के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता।
मुखर्जी ने कहा कि समाज के दुर्बल वर्गो पर बढ़ती ब्याज दरों के बोझ को कम करने के लिए सरकार कुछ क्षेत्रों में ब्याज पर चुनिंदा आर्थिक छूट दे रही है। इसके अलावा सरकार कई उपाय करके आपूर्ति पक्ष की बाधाओं का भी समाधान कर रही है। पिछले साल दिसंबर से ही मुद्रास्फीति दर नौ प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है और यह अक्टूबर में 9.73 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।
रिजर्व बैंक ने मार्च 2010 से मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के मकसद से मांग को कम करने के लिए 13 बार ब्याज दरों में वृद्धि की और कुल 350 आधार अंक की बढ़ोतरी की गई।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 29, 2011, 19:37