Last Updated: Tuesday, December 27, 2011, 04:44
लंदन : यूरो क्षेत्र में मौजूदा ऋण संकट तथा उपभोक्ताओं के विश्वास में कमी को देखते हुए ब्रिटेन के एक बार फिर मंदी की चपेट में आने की आशंका है।
शोध संस्थान इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक पालिसी रिसर्च (आईपीपीआर) ने कहा कि ब्रिटेन के लिए 2012 की शुरुआत नरम रहेगी। हालांकि मुद्रास्फीति को कम कर कुछ तेजी लाई जा सकती है। इससे ग्राहकों की क्रय शक्ति बढ़ेगी। शोध संस्थान के मुख्य अर्थशास्त्री टोनी डोल्फिन ने कहा, ‘हम वर्ष 2012 में प्रवेश करने जा रहे हैं और अगर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के परिदृश्य को देखें तो यह कमजोर दिखाई देता है।’
उन्होंने कहा, ‘यूरो क्षेत्र का ऋण संकट अभी सुलझा नहीं है और इससे निपटने के लिए धीरे-धीरे कई देश खर्चों में कटौती के रास्ते पर चल रहे हैं। इससे उत्पादन घटेगा और पूरे यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ जाएगी।’ मई 2010 में सत्ता में आने के बाद ब्रिटेन की गठबंधन सरकार ने सार्वजनिक घाटा कम करने के लिए अगले पांच साल में खर्चों में 81 अरब पौंड (131 अरब डॉलर) की कटौती करने की घोषणा की थी।
डोल्फिन ने आगाह करते हुए कहा कि अगर खर्चे में कटौती का रूख इसी प्रकार जारी रहा तो इससे अर्थव्यवस्था के मंदी की चपेट में आने की आशंका है। उन्होंने कहा कि देश को मंदी की चपेट से बाहर निकालने का एकमात्र रास्ता लोगों की क्रयशक्ति को बढ़ाना है ताकि मांग बढ़े।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 27, 2011, 14:47