Last Updated: Monday, April 16, 2012, 13:58
ज़ी न्यूज ब्यूरो/ एजेंसी मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने तीन साल के अंतराल के बाद अपनी नितिगत ब्याज दरों में ढील देते हुए उनमें आधा फीसद की कटौती की। केंद्रीय बैंक के इस कदम से अब घर, कार और कारोबार आदि के लिए वाणिज्यिक बैंकों से ऋण लेना सस्ता हो सकता है।
रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए अल्ककालिक नकदी सहायता पर ब्याज (रेपो दर) आधा प्रतिशत घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया है। रेपो वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों को एकाध दिन के लिए नकदी देता है। इसके अनुसार ही रिवर्स रेपो और बैंकों के लिए सूक्षम उधार की स्थायी सुविधा पर ब्याज आधा आधा प्रतिशत घटा दी है।
रिजर्व बैंक ने अपनी बैंक दर (दीर्घकालिक ब्याज दर) भी 9.5 प्रतिशत से घटा कर 9 प्रतिशत कर दिया है।
रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में बाजार के अनुमानों से अधिक की कमी की है। अधिकतर अर्थशास्त्रियों और बैंकों को रेपो में 0.25 प्रतिशत की कमी किए जाने की उम्मीद थी।
रिजर्व बैंक ने कल जारी अपनी ‘वृहद अर्थव्यवस्था और विकास के बारे में’ अपनी रिपोर्ट के बारे में कहा था कि वह वर्ष 2012-13 की अपनी मौद्रिक नीति में आर्थिक वृद्धि में गिरावट को थामने पर ध्यान देगा। आर्थिक वृद्धि दर में कमी और इसके साथ ही महंगाई की दर के नीचे आने के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने आज मौद्रिक नीति की सालाना समीक्षा पेश करते हुए कहा कि ब्याज दरों में कटौती का मकसद आर्थिक वृद्धि दर को एक बार फिर से 9 प्रतिशत के स्तर पर ले जाना है। यह वृद्धि दर 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट का दौर होने से पहले अर्थव्यवस्था हासिल कर रही थी।
गवर्नर ने कहा कि रेपो दरों में कटौती वृद्धि के आकलन के आधार पर की गई है, जो संकट पूर्व के स्तर से नीचे चली गई है। इससे महंगाई पर अंकुश पाने में मदद मिल रही है। रिजर्व बैंक ने 2012-13 के लिए आर्थिक वृद्धि दर 7.13 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। 2011-12 में इसके 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जनवरी में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में दो लगातार कटौती के बाद हालांकि रिजर्व बैंक ने इसे 4.75 प्रतिशत पर कायम रखा है।
रिजर्व बैंक द्वारा घोषित कुछ मुख्य बातें--चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.3 फीसद रहने की संभावना।
-आरबीआई ने बैंक दर (दीर्घकालिक ऋण पर ब्याज दर) आधा फीसद घटाकर नौ फीसद किया।
-मुद्रास्फीति मार्च 2013 तक 6.5 फीसद के स्तर पर रह सकती है।
-आरबीआई का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंकों के ऋण कारोबार में 17 फीसद की बढोतरी हो सकती है।
वार्षिक मैद्रिक नीति की घोषणा करते हुए रिजर्व बैंक के प्रमुख सुब्बाराव ने कहा कि महंगाई को देखते हुए तथा विकास दर में कमी के मद्देनजर इन दरों में कटौती की गई है। मगर महंगाई के बारे में उन्होंने कहा कि यह और भी बढ़ सकती है और डीजल-पेट्रोल के दामों को भी बढ़ाया जा सकता है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 8.5 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया है। यह कटौती लगभग 36 महीने बाद आई है।
रिजर्व बैंक के लिए मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बिठाना मुश्किल भरा काम हो गया है। हालांकि, रिजर्व बैंक ने आज इस चुनौती से निपटने का संकेत देते हुये कहा है कि मौद्रिक नीति का जोर अब गिरती आर्थिक वृद्धि को थामने की तरफ होना चाहिये, हालांकि इसके साथ ही मुद्रास्फीति पर भी नियंत्रण रखा जाना चाहिए। वर्ष 2012-13 की ऋण एवं मौद्रिक नीति जारी करने की पूर्व संध्या पर जारी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीतिकारी धारणा कुछ नरम पड़ी लेकिन फिर भी यह ऊंची रही है।
First Published: Wednesday, April 18, 2012, 13:19