`भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार अगले साल ही`

`भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार अगले साल ही`

नई दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था में तुरंत तेजी की संभावनाएं फिलहाल नहीं दिखाई देतीं। गोल्डमैन साक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले वर्ष की पहली छमाही के दौरान ही इसमें हल्के सुधार की उम्मीद है।

इस निवेश बैंक की ताजा अनुसंधान रिपोर्ट के अनुसार खासकर निवेश मांग धीमी रहने से देश में आर्थिक गतिविधियां का स्तर लगातार कमजोर बना रहेगा। भारत में विदेशी पूंजी के कमजोर प्रवाह और परियोजनाओं की धीमी शुरुआत से यह परिलक्षित होता है। गोल्डमैन साक्स की रिपोर्ट के अनुसार निवेश परिदृश्य, मुद्रास्फीति और व्यापार घाटे में सुधार के अभी भी बहुत कम संकेत हैं, लेकिन आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ावा देने के लिये नीतिगत सुधारों पर ध्यान देना और बाह्य स्थिति में सुधार आवश्यक है।

संसद का अगला सत्र 22 नवंबर से शुरु होने जा रहा है। इस दौरान भूमि अधिग्रहण विधेयक, पेंशन और बीमा सुधार विधेयक तथा नया कंपनी कानून विधेयक सहित कई महत्वपूर्ण सुधार विधेयकों पर चर्चा होगी और पारित कराया जायेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इन सभी विधेयकों को पारित करा लिया जाता है तो इनसे अर्थव्यवस्था को कुछ मजबूती मिलेगी।

रिपोर्ट के अनुसार सामान्य से कमजोर मानसून के चलते उपभोक्ता मांग भी कुछ हल्की रहेगी। आटोमोबाइल क्षेत्र में कमजोर बिक्री तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में कमजोर शुरुआत को देखते हुए चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही कमजोर बने रहने का अनुमान है। गोल्डमैन साक्स के अनुसार निकट भविष्य में मुद्रास्फीति उंची बनी रहने की आशंका है। राजकोषीय घाटा और चालू खाते का घाटा भी उम्मीद से ऊंचा रहने का अनुमान है।

निवेश बैंकर ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान भी 7.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया जबकि राजकोषीय घाटे का अनुमान भी पहले के 5.3 प्रतिशत से बढाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया। चालू खाते के घाटे के अनुमान को 3.5 प्रतिशत से बढाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया गया। (एजेंसी)

First Published: Friday, November 2, 2012, 22:39

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