Last Updated: Friday, March 1, 2013, 18:00
नई दिल्ली : इंटरनेशनल काउंसिल आफ रिसर्च आन इंटरनेशनल इकोनामिक रिलेशंस (इक्रियर) के निदेशक व मुख्य कार्यकारी रजत कथूरिया ने कहा है कि भारत जैसे विशाल आकार वाले देश के लिए 5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर जरूरत से कहीं अधिक कम है और इसे 7 से 8 प्रतिशत पर लाने के प्रयास किए जाने की जरूरत है।
आम बजट पेश किए जाने के बाद यहां स्कोप द्वारा आयोजित सेमीनार को संबोधित करते हुए कथूरिया ने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि के लिए तीन प्रमुख समस्याएं राजकोषीय घाटा, चालू खाता घाटा और मुद्रास्फीति है।’ उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए निवेश प्रमुख कारक है। चीन की उंची वृद्धि दर की मुख्य वजह निवेश है और वह अपनी जीडीपी का करीब 50 प्रतिशत निवेश कर रहा है, जबकि भारत द्वारा जीडीपी का 37 प्रतिशत निवेश किया जा रहा है।
स्कोप और अर्न्स्ट एंड यंग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए गए इस सेमीनार को संबोधित करते हुए ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया के सीएमडी बीवीकेके राव ने कहा, ‘बजट में राजकोषीय घाटा, चालू खाता घाटा और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए शुरुआती कदम उठाए गए हैं जो सराहनीय हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, March 1, 2013, 18:00