Last Updated: Sunday, January 1, 2012, 12:34

नई दिल्ली : सरकार को भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास विधेयक, 2011 के मसौदे के प्रावधानों में बदलाव करना चाहिए, ताकि उद्योग जगत के लिए भूमि हासिल करना आसान हो। यह बात फेडरेशन ऑफ चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने रविवार को कही। फिक्की ने कहा कि उद्योग जगत को भूमि हासिल करने में काफी कठिनाई होती है और विधेयक का मसौदा इस प्रक्रिया को और दुरूह बनाता है, क्योंकि यह भूसम्पत्तियों के लिए भूमि बेचना कठिन बनाता है।
फिक्की ने कहा, कानून को यह समझना चाहिए कि बड़ी संख्या में लोग कृषि का पेशा छोड़कर अपनी कृषि भूमि बेचना चाहते हैं। वर्तमान विधेयक इस तथ्य की अनदेखी करता है। विधेयक पिछले साल सितम्बर माह में संसद में पेश किया गया।
फिक्की ने यह भी सलाह दी है कि कम्पनियों को सीधे भूमि के मालिक से बाजार मूल्य चुकाकर भूमि खरीदने की सुविधा मिलनी चाहिए। विधेयक के मसौदे में मुआवजा और पुनर्वास के प्रावधान पर फिक्की का मानना है कि इन प्रावधानों से उद्योग जगत पर काफी अधिक बोझ बढ़ जाएगा।
फिक्की ने सलाह दी है कि विधेयक के मसौदे में मुआवजा और पुनर्वास की ऊपरी सीमा तय की जानी चाहिए और इसे भूमि अधिग्रहण मूल्य के अधिकतम 30 से 40 फीसदी में सीमित रखा जाना चाहिए। फिक्की ने यह भी सलाह दी है कि भूमि अधिग्रहण कानून 1894 के तहत आवेदन की गई भूमि को नए कानून के तहत नहीं देखा जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 1, 2012, 18:17