Last Updated: Wednesday, July 25, 2012, 21:26
नई दिल्ली : भारत में लगातार दूसरे महीने मई में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घटकर 1.32 अरब डॉलर हो गया जो साल भर पहले इसी माह 4.66 अरब डॉलर था। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी के असर का संकेत मिलता है।
विशेषज्ञों ने कहा निवेश में कमी के लिए वैश्विक और घरेलू आर्थिक समस्या को जिम्मेदार ठहराया है और सरकार को सुझाव दिया कि वे बड़ी सुधार प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाएं ताकि वैश्विक निवेशकों को भरोसा बहाल किया जा सके।
फिक्की के महासचिव राजीव कुमार ने कहा, बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई की मंजूरी और घरेलू विमानन कंपनियों में विदेशी विमानन कंपनियों को हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति देने से देश में ज्यादा से ज्यादा एफडीआई आकषिर्त होगा। एफडीआई में गिरावट उस वक्त हुई है जबकि भारत की आर्थिक वृद्धि 2011-12 के दौरान घटकर नौ साल के न्यूनतम स्तर 6.5 फीसद पर आ गई है। जनवरी से मार्च की तिमाही के दौरान वृद्धि दर मात्र 5.3 फीसद रही।
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अप्रैल से मई 2012 के दौरान भी भारत में एफडीआई सालाना स्तर पर 59 फीसदी घटकर 3.18 अरब डॉलर हो गया। अप्रैल में एफडीआई प्रवाह 1.85 अरब डालर का था जो अप्रैल 2011 में 3.12 अरब डॉलर था। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 25, 2012, 21:26