Last Updated: Wednesday, January 16, 2013, 20:52

लखनऊ : तीसरी तिमाही की मौद्रिक नीति की समीक्षा से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे लोगों को कुछ झटका लगा है। रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कल शाम भारतीय प्रबंधन संस्थान के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि महंगाई की दर अभी भी काफी उंची है और ऐसे में सुस्त अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए वित्तीय या मौद्रिक राहत की किसी प्रकार की उम्मीद नहीं है।
सुब्बाराव ने कहा, जब वृद्धि की रफ्तार घट रही हो, तो आप अर्थव्यवस्था को मौद्रिक या वित्तीय राहत से गति दे सकते हैं, लेकिन फिलहाल न तो मौद्रिक और न ही वित्तीय राहत का कोई विकल्प है।’’ हालांकि, केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने 29 जनवरी को पेश होने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की संभावना को खारिज नहीं किया है। सुब्बाराव ने कहा कि महंगाई नीचे आ रही है, लेकिन यह अभी भी काफी उंची है।
थोक मूल्य सूचकांक आधारिक मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर तीन साल के निचले स्तर 7.18 प्रतिशत पर आ गई है। हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति दो अंक यानी 10.56 प्रतिशत पर बनी हुई है। इससे संकेत मिलता है कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में कमी से लोगांे को मूल्यवृद्धि से राहत नहीं मिलने वाली।
मुद्रास्फीति का 7.18 प्रतिशत का स्तर अभी भी रिजर्व बैंक के संतोषजनक 4 से 5 फीसद के स्तर से अधिक है। रिजर्व बैंक द्वारा मूल्यवृद्धि पर अंकुश के लिए कड़ा मौद्रिक रुख अपनाए जाने के बावजूद महंगाई से राहत नहीं मिल पाई है।
नवंबर में औद्योगिक उत्पादन 0.1 फीसद घटने के बाद से उद्योग जगत केंद्रीय बैंक से मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों की कटौती की उम्मीद कर रहा है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 16, 2013, 20:52