Last Updated: Thursday, August 16, 2012, 18:27
नई दिल्ली : देश के उद्योग जगत का मानना है कि मौजूदा कठिन आर्थिक परिस्थितियों में सरकार को कंपनियों की कर बचाव गतिविधियों के खिलाफ सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) लागू करना आर्थिक वृद्धि के लिहाज से ठीक नहीं है।
एसोसियेटिड चैंबर्स ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के अध्यक्ष राजकुमार धूत ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि भारत में निवेश के मामले में कर कानूनों की विश्वसनीयता विदेशी निवेशकों के समक्ष आज सबसे बड़ा मुद्दा है। हाल में गार की घोषणा और आयकर कानून की धारा 9 में पिछली तिथि से किए गए संशोधन से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। सरकार ने वोडाफोन कर मामले में यह संशोधन किया है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में ‘गार’ को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिये और समुचित विचार विमर्श और सहमति के बाद ही इसपर आगे कदम उठाया जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि उद्योग जगत के अनुसार गार कब लाया जाना चाहिये। इस सवाल के जवाब में धूत ने कहा कि इसे उपयुक्त समय पर गहन विचार-विमर्श के बाद ही लाया जाना चाहिए। सरकार ने पहले ही गार पर अमल को एक साल के लिये टाल दिया है। उस समय वित्त मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी ने 2012.13 के बजट में इसकी घोषणा की थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गार पर दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार करने के लिये कर विशेषज्ञ पार्थसारथी सोम की अध्यक्षता में एक समूह गठित कर चुके है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 16, 2012, 18:27