Last Updated: Wednesday, November 2, 2011, 11:07
एथेंस : यूनान ने ऋण राहत पैकेज पर जनमत संग्रह की अपील कर यूरोक्षेत्र को फिर से संकट में डाल दिया है और बाजार में उथल-पुथल मचा दी। उल्लेखनीय है कि ऋण राहत पैकेज पर बड़ी मुश्किल से सिर्फ दो दिन पहले सहमति बन पाई थी।
फ्रांस ने इस उठापटक के बीच राहत पैकेज को ऋण संकट का एकमात्र निदान बताया और इसे अमल में लाने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री जार्ज पापांद्रीओ के ऋण पैकेज पर शुक्रवार को विश्वास मत लाने और फिर जनमत संग्रह कराने के फैसले ने निवेशकों को सकते में डाल दिया और इससे जहां यूरोपीय नेता क्रोधित हुए वहीं, यूरो क्षेत्र वापस संकट की स्थिति में आ गया।
इटली अब फ्रांस में हो रहे जी20 सम्मेलन से पहले भारी दबाव में है। राहत पैकेज पर यूनान के जनमत संग्रह के फैसले के कारण यूरोप की एकल मुद्रा यूरो 1.37 डालर के स्तर से भी नीचे गिर गई। चौतरफा संकट की स्थिति से इटली के बॉंड भारी दबाव में आ गए। यूरोक्षेत्र का संकट फैलने की चिंता से डालर के मुकाबले यूरो की विनिमय दर घटकर 1.3609 यूरो रह गई है जो कि 12 अक्टूबर के बाद इसका न्यूनतम स्तर है।
इस ताजा उठापटक में यूरोपीय बाजारों में पांच फीसदी या इससे ज्यादा गिरावट आई और इटली के लिए स्थिति असहज हो गई, जब उधारी दर रिकार्ड उच्च स्तर तक पहुंच गई। इससे इटली को वित्तीय संसाधन जुटाने में समस्या खड़ी हो सकती है। फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी ने यूनान से कहा है कि पिछले सप्ताह हुआ समझौता ही उसकी ऋण समस्या के समाधान का एकमात्र तरीका है। इसलिए उसे जर्मनी के साथ मेलजोल रखते हुये व्यवस्था बनाये रखनी चाहिए।
जनमत संग्रह के आह्वान ने ‘पूरे यूरोप के लिए अचरज में डाल दिया’। सरकोजी ने कहा कि फ्रांस हर किसी को याद दिलाना चाहता है कि 17 देशों द्वारा एकमत से स्वीकार किया गया समझौता यूनान के ऋण संकट के समाधान का एकमात्र संभावित तरीका है।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 2, 2011, 16:39