यूरोजोन संकट से भारत पर पड़ेगा प्रभाव: मनमोहन

यूरोजोन संकट से भारत पर पड़ेगा प्रभाव: मनमोहन

यूरोजोन संकट से भारत पर पड़ेगा प्रभाव: मनमोहन
नई दिल्ली : यूरोजोन संकट के जारी रहने पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि इससे वैश्विक बाजार और कमजोर होगा और भारत के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सिंह ने कहा कि वैश्विक विकास की गाड़ी को पटरी पर लाना तात्कालिक विषय है जिस पर दुनिया के देशों के नेताओं को ध्यान देना होगा। प्रधानमंत्री ने मैक्सिको और ब्राजील रवाना होने से पहले यह बात कही।

मनमोहन सिंह 18 जून को मैक्सिको के रिसार्ट शहर लास काबोस में सातवें जी 20 शिखर सम्मेलन में और रियो डि जिनेरियो में रियो 20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यूरोजोन में आर्थिक संकट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने की पृष्ठभूमि में जी 20 नेताओं की मुलाकात का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि यूरोप में स्थिति विशेष तौर पर चिंता का विषय है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी बड़ी हिस्सेदारी है तथा यह भारत का महत्वपूर्ण कारोबारी और निवेश सहयोगी है।

मनमोहन ने कहा कि समस्या के लगातार जारी रहने से वैश्विक बाजार और कमजोर होगा और हमारी अपनी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हम उम्मीद करते हैं कि यूरोपीय नेता पूरी प्रतिबद्धता से उनके समक्ष पेश आ रहे वित्तीय संकट के समाधान के लिए पहल करेंगे। सिंह ने वैश्विक विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि जी 20 देश सतत विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियों को लागू करने के लिए समन्वय के साथ काम करें। भारत ‘मजबूत, व्यवहार्य एवं संतुलित विकास ढांचा’ पर कार्यकारी समूह के सह अध्यक्ष की हैसियत से इस उद्देश्य को आगे बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जी 20 में अपने संबोधन के दौरान मैं विकास के आयामों की प्रमुखता सुनिश्चित करने और आधारभूत संरचना में निवेश पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दूंगा। सिंह ने कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) वैश्विक अर्थव्यवस्था के नए विकास केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स नेताओं ने वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है ताकि अंतरराष्ट्रीय नीतिगत समन्वय, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए उपयुक्त माहौल तैयार किया जा सके। मनमोहन ने मेक्सिको के लॉस कैबोस में 18-19 जून को हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में विकास के आयामों की सर्वोच्चता सुनिश्चित कराने, तथा वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए अधोसंरचना में निवेश करने पर ध्यान देने की आवश्यकता पर दबाव बनाने का भी संकल्प लिया।

उन्होंने कहा कि यूरोप की यह स्थिति खासतौर से चिंताजनक है, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में यूरोप की एक बड़ी हिस्सेदारी है और यह भारत का एक प्रमुख व्यापारिक एव निवेश साझेदार है। वहां लगातार समस्या बने रहने से वैश्विक बाजार मंद होगा और हमारे आर्थिक विकास पर उसका विपरीत असर पड़ेगा। हम आशा करते हैं कि यूरोपीय नेता अपने सामने खड़ी वित्तीय समस्याओं के समधान के लिए ठोस कार्रवाई करेंगे। (एजेंसी)

First Published: Saturday, June 16, 2012, 12:40

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