Last Updated: Monday, November 14, 2011, 08:45
नई दिल्ली : यूरो जोन में गहराते ऋण संकट के बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि कुछ देश जो मंदी के दौर में संरक्षणवादी उपाय कर रहे हैं, इसको लेकर न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को चिंता है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यूरोपीय संकट का देश के निर्यात और आर्थिक वृद्धि पर कुछ असर होगा।
यहां, 31वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का उद्घाटन करने के बाद मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि ऐसे समय में जब यूरोपीय संघ, अमेरिका सहित कई विकसित देश वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे हैं, उभरते देश विश्व मंच पर नए ‘अभिनेता’ बनकर सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि 2008 में आए वित्तीय संकट से भारत ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ और काफी तेजी के साथ संकट से उबरा।
हालांकि वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि यूरोपीय संकट का देश के निर्यात और आर्थिक वृद्धि पर कुछ असर होगा। लेकिन हम इसकी समीक्षा करेंगे और इससे उबरने में कामयाब होंगे।
इस मौके पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा भी मौजूद थे। शर्मा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के छह महीनों अप्रैल-सितंबर के दौरान निर्यात वृद्धि 52 प्रतिशत रही है और हमने 2014 तक देश के निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। शर्मा ने कहा कि हमने नई विदेश व्यापार नीति बनाई और यूरोपीय क्षेत्र में संकट पैदा होने के बाद हमने अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए अफ्रीका, लातिन अमेरिका और एशियाई देशों की ओर रुख किया। बाद में इसमें चीन और जापान को विशेष फोकस देशों में जोड़ा गया।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 15, 2011, 12:27