Last Updated: Wednesday, February 1, 2012, 17:35
मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने सरकार को बाजार से ज्यादा उधार लेकर खर्च करने के जोखिम के प्रति आगहा किया है और कहा है कि सरकारी कर्ज को सीमा में नहीं रखा गया तो अर्थव्यवस्था की वृद्धि प्रभावित होगी।
सुब्बाराव ने यहां अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन में कहा, एक ऐसा मुकाम है जिसके बाद राजकोषीय घाटा वृद्धि के लिए खतरा बन जाता है। सरकारी उधारी ऐसी बुरी चीज नहीं है लेकिन अत्यधिक उधारी गलत है। इसलिए जरूरी है कुल सरकारी रिण को सकल घरेलू उत्पाद के एक हिस्से तक ही सीमित रखा जाए।
प्राप्तियां कम होने के कारण सरकार का 2011-12 का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के बजट में अनुमानित 4.6 फीसदी से अधिक होने की आशंका है और सब्सिडी बिल मूल अनुमान से कम से कम एक लाख करोड़ रुपए अधिक होने की आशंका है।
प्राप्ति और व्यय के अंतर को पाटने के लिए सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान बाजार से लिया जा रहा उधार बजट में प्रस्तावित 4.20 लाख करोड़ रुपए के कर्ज के मुकाबले 92,000 करोड़ रुपए अधिक हो सकता है।
आरबीआई ने कई मौकों पर राजकोषीय घाटे का मामला उठा चुका है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संकेत दिया अगले वित्त वर्ष के बजट में राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने के उपाय घोषित किए जा सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 1, 2012, 23:06