Last Updated: Thursday, March 15, 2012, 11:14
नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंकने जारी मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में कहा कि राजकोषीय घाटे को विश्वसनीय तरीके से कम करने की मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
आरबीआई ने कहा ‘ मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा में संकेत दिया था कि राजकोषीय घाटा लक्ष्य से ज्यादा होने के कारण मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ रहा है। इसलिए राजकोषीय घाटे को विश्वसनीय तरीके से कम करना मुद्रास्फीतिक दृष्टिकोण को अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 4.6 फीसद के बराबर रहने का अनुमान जाहिर किया गया था। हालांकि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद और अन्य संस्थाओं ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा बढ़कर 5.6 फीसद तक होने की आशंका जाहिर की है।
सर्वोच्च बैंक ने कहा कि ईंधन, उर्वरक और बिजली क्षेत्र की कीमतों को कृत्रिम रूप से कम रखने से मुद्रा स्फीति और उत्पादन लागत का वास्तविक आंकड़ा स्पष्ट नहीं होता।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, March 15, 2012, 16:44