Last Updated: Monday, April 1, 2013, 19:35

टोक्यो : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि राजकोषीय घाटा, चालू खाता घाटा और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना देश के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इन समस्याओं का निदान किया जा रहा है और 2016-17 में राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत के लक्ष्य पर पहुंच जाएगा।
भारत में निवेश करने के लिए जापानी निवेशकों को लुभाने आए चिदंबरम ने संवाददाताओं को बताया कि विदेशी निवेशकों का भारत में भरोसा निरंतर बना हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘हमें कई अंदरूनी मुद्दों को हल करना है। हमें राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाना है। हमें मुद्रास्फीति पर काबू पाना है। हमें ऐसे उपाय निकालने हैं जहां परियोजनाओं को समयबद्ध और प्रभावी तरीके से क्रियान्वित किया जाए।’
वित्त मंत्री ने कहा,‘हम समस्याओं का निदान कर रहे हैं। मेरे विचार से ये चुनौतियां आज भारत के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।’ उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2012-13 में 5 और 5.5 प्रतिशत के बीच रही, लेकिन इस पर वह खुश नहीं हैं।
चिदंबरम ने कहा,‘मैं इससे खुश नहीं हूं। हम केवल 5 से 5.5 प्रतिशत की दर से विकास कर रहे हैं, जबकि हमारे लोगों को कम से कम 8 प्रतिशत की वृद्धि दर की दरकार है।’ राजकोषीय घाटा पर उन्होंने कहा कि इसे 2012-13 में घटाकर 5.2 प्रतिशत के स्तर पर लाया गया है।
हर साल इसमें 0.6 प्रतिशत की कमी लाई गई है और देश 2016-17 तक 3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर लेगा।
पी चिदंबरम ने कहा कि भारत हर साल 50 अरब डॉलर का विदेशी निवेश खपा सकता है। विदेशी निवेशकों का भारत में विश्वास निरंतर बना हुआ है। एफडीआई और एफआईआई दोनों ही मामलों में भारत में पूंजी प्रवाह 2012 में काफी अधिक रहा। उन्होंने कहा कि अगले तीन.चार दिनों में जारी की जाने वाली नयी व्यापार नीति से सुधारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की झलक मिल जाएगी।
मंत्री ने कहा,‘चालू खाता घाटा वास्तव में बहुत अधिक है और यह चिंता का कारण है। वर्ष 2012-13 के लिए चालू खाता घाटा का वित्त पोषण पूरी तरह से विदेशी मुद्रा के प्रवाह से किया गया और विदेशी मुद्रा भंडार को हाथ भी नहीं लगाना पड़ा।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, April 1, 2013, 19:35