रिजर्व बैंक ने कर्ज सस्ता नहीं किया

रिजर्व बैंक ने कर्ज सस्ता नहीं किया

रिजर्व बैंक ने कर्ज सस्ता नहीं कियामुंबई: बाजार की उम्मीदों के विपरीत रिजर्व बैंक ने आज अपनी मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में अपनी नीतिगत दरों में आज कोई बदलाव नहीं किया।

केंद्रीय बैंक ने महंगाई के दबाव तथा वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के मद्देनजर ब्याज दरों को फिलहाल पूर्व के स्तर पर बरकरार रखा जबकि बाजार यह मान कर चल रहा था कि घरेलू अर्थव्यवस्था, खास कर औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट को थामने के लिए वह रेपो दर को कम से कम 0.25 प्रतिशत तो कम करेगा ही।

रपो दर वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एकाध दिन के लिए नकदी उपलब्ध कराता है। इसके घटने बढाने से उनके धन की लागत प्रभावित होती है। रेपो 8 प्रतिशत बरकरार रखी गयी है।

केंद्रीय बैंक ने अरक्षित नकद अनुपात (सीआरआर) को भी 4.75 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रखा। सीआरआर के तहत बैंकों को अपने पास जमा राशि का एक निश्चित भाग रिजर्व बैंक के पास सुरक्षित रखना होता है और उस पर उन्हें ब्याज नहीं मिलता।

रिजर्व बैंक के रुख से स्थानीय शेयर बाजारों में तेज गिरावट दर्ज की गयी और खबर आते ही बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स करीब 200 अंक गिरकर 17,000 के नीचे चला गया। रिजर्व बैंक ने कहा कि भविष्य में उठाये जाने वाला कदम बाह्य कारकों, घरेलू गतिविधियों तथा मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति पर निर्भर करेगा। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘भविष्य में उठाया जाने वाला कदम बाह्य एवं घरेलू गतिविधियों के निरंतर आकलन पर निर्भर करेगा।’

निर्यात क्षेत्र की मदद के लिये रिजर्व बैंक ने निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा बैंकों द्वारा दिये गये निर्यात कर्ज का 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी।

रिजर्व बैंक ने कहा कि इससे नकदी में वृद्धि होगी तथा बैंक निर्यात क्षेत्र को ज्यादा कर्ज दे सकेंगे। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस निर्णय से 30,000 करोड़ रुपये के बराबर नकदी बढ़ेगी जो सीआरआर में 0.5 प्रतिशत कटौती के बराबर है।

शीर्ष बैंक ने इस दलील को खारिज कर दिया कि उच्च ब्याज दर के कारण आर्थिक वृद्धि में तेज गिरावट हुई है। रिजर्व बैंक के अनुसार वास्तविक प्रभावी बैंक ब्याज दर अभी भी उच्च आर्थिक वृद्धि वाली 2003-08 की अवधि से कम है।


आरबीआई ने कहा, ‘यह बताता है कि ब्याज दरों के अलावा अन्य कारक हैं जो आर्थिक वृद्धि में नरमी के लिये जिम्मेदार हैं।’ रिजर्व बैंक का सतर्क रूख ऐसे समय सामने आया है जब उस पर कमजोर आर्थिक वृद्धि को गति देने तथा धारणा मजबूत करने के लिये कदम उठाने को लेकर खासा दबाव था।

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2011-12 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि 5.3 प्रतिशत रही जो नौ साल में सबसे कम है। वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान भी आर्थिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत रही जो वित्तीय संस्थान लेहमैन के धाराशायी होने के समय जीडीपी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत से भी कम रही।

ग्राहकों को लाभ देने के लिये देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक की अगुवाई में बैंक सीआरआर में कटौती की वकालत कर रहे थे वहीं कुछ विश्लेषक कमजोर आर्थिक वृद्धि का हवाला देते हुए रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की आशा कर रहे थे। (एजेंसी)

First Published: Monday, June 18, 2012, 12:56

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