रिजर्व बैंक ने सख्त नीति का किया बचाव

रिजर्व बैंक ने सख्त नीति का किया बचाव

रिजर्व बैंक ने सख्त नीति का किया बचाव
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दरों में कटौती नहीं करने के फैसले का बचाव करते हुए इसके गवर्नर डी. सुब्बाराव ने मंगलवार को कहा कि महंगाई अब भी स्वीकार्य स्तर से ऊपर है और बिना मौद्रिक नीति की सख्ती और कुछ विकास दर को कुर्बान किए इसे नीचे नहीं लाया जा सकता है।

सुब्बाराव ने कहा कि हम कम और स्थिर महंगाई दर के साथ मध्य अवधि में विकास को बढ़ाना चाहते हैं, जो सिर्फ सख्ती से ही सम्भव है, लेकिन वर्तमान स्तर पर महंगाई को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इंडियन मर्चेट्स चैम्बर्स की 104वीं सलाना आम बैठक को सम्बोधित करते हुए सुब्बाराव ने कहा कि हम यह मानना चाहेंगे कि नीतिगत दरों में वृद्धि ने महंगाई दर को कम करने में मदद किया है। नीति तय करते वक्त हम थोक कीमत सूचकांक (डब्ल्यूपीआई), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जैसे सभी सूचकांकों को देखते हैं। जो हमारी प्रतिक्रिया जानना चाहते हैं, उन्हें इन सूचकांकों को देखना चाहिए।

रिजर्व बैंक ने एक दिन पहले मध्य तिमाही मौद्रिक नीति की घोषणा में मुख्य दरों को अपरिवर्तित रखा और कहा कि अतिरिक्त तरलता से महंगाई और बढ़ जाएगी। समग्र महंगाई दर मई में बढ़कर 7.55 फीसदी हो गई, जो अप्रैल में 7.23 फीसदी थी। खाद्य महंगाई दर मई में बढ़कर 10.74 फीसदी हो गई, जो अप्रैल में 8.25 फीसदी थी।

इसी अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 10 फीसदी के ऊपर है जो काफी परेशान करने वाला है। सुब्बाराव ने कहा कि रुपये के अवमूल्यन और अत्यधिक वित्तीय घाटा जैसे कई कारक विकास को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को वित्तीय घाटा कम करने के लिए कर नहीं बढ़ानी चाहिए, बल्कि खर्च घटानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्तीय घाटा से भी महंगाई बढ़ रही है। क्योंकि सरकार खर्च कर रही है, वेतन बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा कि अत्यधिक वित्तीय घाटा, आपूर्ति पक्ष की बाधाएं, लगातार महंगाई, विपरीत बाहरी परिस्थिति भी आर्थिक विकास की सम्भावना पर दबाव बना रही है। उन्होंने कहा कि सम्भावित आर्थिक विकास दर कम हो गई है।

उन्होंने हालांकि देश के 1991 जैसी भुगतान संकट की परिस्थिति की ओर बढ़ने के डर को खारिज किया। उन्होंने कहा कि हम 2012 में 1991 जैसी स्थिति में नहीं हैं और हमारी विकास की कहानी अब भी विश्वसनीय है। उन्होंने कहा कि हमें कठिन मेहनत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विकास दर बढ़ाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार, रिजर्व बैंक और उद्योग पर निर्भर है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, June 19, 2012, 23:24

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