रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव

रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव

रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबावनई दिल्ली : अर्थव्यवस्था और विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति में नरमी के बीच रिजर्व बैंक पर आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में 0.50 फीसद कमी लाने और नकदी से जुड़ी चिंताओं को दूर करने का दबाव बढ़ रहा है।

वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने उम्मीद जाहिर की कि आरबीआई कल अपनी मध्य तिमाही समीक्षा में नकदी से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देगा वहीं स्टेट बैंक के अध्यक्ष प्रतीप चौधरी ने कहा कि ब्याज दर में 0.50 फीसद कटौती की मांग की गई है।

चिदंबरम ने आज यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ हुई बैठक के बाद कहा ‘‘मुझे लगता है कि गवर्नर नकदी की समस्या से वाकिफ हैं और कल मौद्रिक नीति की समीक्षा है। मुझे भरोसा है कि वह नकदी की समस्या पर ध्यान देंगे।

मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों के पास सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 23 प्रतिशत से भी अधिक है। बैंक कंपनियों को कर्ज देने के बजाय एसएलआर में पैसा लगाकर उससे ब्याज कमाई कर रहे हैं। चौधरी ने कहा ‘‘हमने सीआरआर में आधा फीसद और रेपो में 0.50 फीसद कटौती का आग्रह किया है। हमने निर्यात रिण में पुनर्वित्त बढ़ाने का भी आग्रह किया है जो फिलहाल रुपया रिण का 50 फीसद है। हमने उनसे इसे बढ़ाकर 100 फीसद करने का निवेदन किया है।’’ नकदी की सख्त स्थिति के मद्देनजर बैंकों ने आज रेपो व्यवस्था के तहत आरबीआई से 1.42 लाख करोड़ रुपए का उधार लिए।

चौधरी ने कहा ‘‘एसबीआई में नकदी की स्थिति अच्छी है। हमारे पास फिलहाल 30,000-40,000 करोड़ रुपए की नकदी है और सरकार भी पूंजी वितरित कर रही है ताकि नकदी की स्थिति सुधरे।’’ विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति फरवरी में 3.8 फीसद पर आ गई जो पिछले 35 महीने का न्यूनतम स्तर है। हालांकि, खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के मद्देनजर कुल मिलाकर थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6.84 फीसद पर रही। (एजेंसी)

First Published: Monday, March 18, 2013, 16:10

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