Last Updated: Monday, September 17, 2012, 09:13

नई दिल्ली : सरकार द्वारा घोषित बड़े सुधारों के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सोमवार को नीतिगत दरों में कुछ कटौती कर बाजार को चौंका सकता है, भले ही महंगाई दर ऊंचाई पर क्यों न हो। सोमवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा में आरबीआई ब्यायज दरों में राहत दे सकता है।
जहां कुछ विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई हाल में महंगाई दर में वृद्धि के कारण दरों में कटौती करने की स्थिति में नहीं है, वहीं ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि सरकार विकास के लिए आरबीआई पर दबाव बना सकती है।
सरकार द्वारा अचानक ही जोरदार तरीके से आर्थिक सुधारों को बढ़ाने की पहल के बाद अब उद्योग जगत की उम्मीदें भारतीय रिजर्व बैंक की कल पेश होने वाली मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा पर टिकीं हैं। उद्योग जगत को इसमें ब्याज दरों में कटौती की की उम्मीद है। एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत ने एक बयान में कहा कि अब समय आ गया है जबकि रिजर्व बैंक को महंगाई को लेकर लगी धुन से कुछ दूरी बनानी चाहिये। साथ ही उसे तेजी से घटती औद्योगिक वृद्धि के आंकड़ों पर ध्यान देना चाहिए।
भारत में डिलॉइट के वरिष्ठ निदेशक अनीस चक्रवर्ती ने कहा कि हम दर में कोई बड़ी कटौती की अपेक्षा नहीं कर रहे हैं। लेकिन कुछ चौंकाने वाले कदम सामने आ सकते हैं। चक्रवर्ती ने कहा कि डीजल कीमत में हाल की वृद्धि से महंगाई और बढ़ सकती है, जिसका अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर होगा। थोक मूल्य पर आधारित देश की मुख्य महंगाई दर अगस्त में 7.55 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि इसके पहले के महीने में यह 6.87 प्रतिशत थी। आरबीआई चार-पांच प्रतिशत मुद्रास्फीति को उचित मानता है।
पेट्रोलियम उत्पादों पर सब्सिडी घटाने की दिशा में एक बड़े कदम के तहत सरकार ने पिछले सप्ताह डीजल के मूल्य में पांच रुपये प्रति लीटर वृद्धि की घोषणा की। यह कदम बढ़ रहे राजकोषीय घाटे को कम करने और साख रेटिंग्स को नीचे जाने से रोकने के लिए है। डीजल कीमतों का एक व्यापक असर होगा और आने वाले महीनों में महंगाई दर और बढ़ सकती है। प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (पीडब्ल्यूसी) के कार्यकारी निदेशक कहा कि डीजल मूल्य वृद्धि के कारण अल्प अवधि में महंगाई बढ़ेगी। कृष्ण ने कहा कि आरबीआई सोमवार को यथास्थिति बनाए रख सकता है और अगली नीतिगत समीक्षा के दौरान दरों में कटौती कर सकता है।
31 जुलाई को घोषित मौद्रिक नीति की प्रथम तिमाही समीक्षा में आरबीआई ने रेपो दर को आठ प्रतिशत पर और रिवर्स रेपो दर को सात प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। रेपो दर वह दर होती है, जिसपर आरबीआई व्यावसायिक बैंको को ऋण देता है, जबकि रिवर्स रेपो दर वह दर होती है, जिसके आधार पर वह व्यावसायिक बैंकों की जमा राशि पर ब्याज देता है। आरबीआई ने उद्योग में क्रेडिट का प्रवाह बढ़ाने के लिए वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में एक प्रतिशत की कटौती कर उसे 23 प्रतिशत कर दिया था। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष आर.वी. कनोरिया ने कहा कि आरबीआई को व्यापारिक भावनाएं सुधारने और विकास में जान डालने की सरकार की कोशिशों में योगदान करना चाहिए।
गौर हो कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह बहुब्रांड खुदरा में 51 प्रतिशत तक, उड्डयन सेक्टर में 49 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने तथा एकल ब्रांड खुदरा में विदेशी धन आकर्षित करने के लिए नीति को आसान बनाने की घोषणा की।
First Published: Monday, September 17, 2012, 09:13