Last Updated: Monday, December 12, 2011, 13:18
नई दिल्ली : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से ईंधन पर दी जाने वाली सब्सिडी में 50,000 करोड़ रुपए की भारी बढ़ोतरी हुई क्यों कि देश को कच्चे तेल के आयात पर और अधिक राशि खर्च करनी पड़ रही है। यह बात पेट्रोलियम सचिव जी सी चतुर्वेदी ने सोमवार को कही।
उन्होंने 10वें पेट्रो इंडिया सम्मेलन में यहां कहा, हर बार जब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर में 100 पैसे तक की गिरावट होती है तो ईंधन सब्सिडी का बोझ 8,000 करोड़ रुपए बढ़ जाता है। रुपया एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 46 से घटकर 52 के स्तर पर पहुंच गया है जिससे सब्सिडी में 50,000 करोड़ रुपए की वृद्धि हो चुकी है। ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को सरकार नियंत्रित कीमत पर डीजल, घरेलू गैस और केरोसिन की बिक्री पर चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,37,605 करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है। कंपनी लागत से बहुत कम मूल्य पर ईंधन की बिक्री करती हैं।
उन्होंने कहा, सरकार को इस घाटे को पूरा करने के तरीके पर विचार करना होगा। इंडियन ऑयल कापरेरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री आयात मूल्य से कम दर पर करने से फिलहाल डीजल पर 13.53 रुपए प्रति लीटर, केरोसिन पर 29.99 रुपए प्रति लीटर और घरेलू गैस पर 287 रुपए प्रति सिलिंडर की कमाई का नुकसान हो रहा है। सरकार पिछले साल जून में पेट्रोल की कीमत को नियंत्रण मुक्त कर दिया था लेकिन डीजल को नियंत्रण मुक्त करने की बात अब तक नहीं उठी है।
उन्होंने डीजल की दोहरे मूल्य निर्धारण से भी इन्कार किया जिसके तहत मोबाईल टेलीफोन टावर और बिजली के जेनरेटर जैसे उपयोगकर्ताओं को डीजल की ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ती। उन्होंने कहा इस प्रस्ताव को लागू करना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा, हम इस पर नजर नहीं रख सकेंगे और इससे बहुत बाधाएं सामने आएंगी। डीजल भारत में सबसे अधिक खपत डीजल की है पर इसे आयातित लागत की तुलना में बहुत सस्ता रखा गया है। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 12, 2011, 20:21