Last Updated: Friday, December 16, 2011, 07:45
मुंबई : प्रमुख विदेशी मुद्राओं की तुलना में रुपये में तीव्र गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह स्थिति पर नजदीकी से नजर रखे हुए है और परिस्थिति के अनुसार उचित समय पर कदम उठाता रहेगा।
बैंक ने अक्तूबर-नवंबर में औसत निर्यात वृद्धि घटकर 13.6 प्रतिशत रह जाने को गंभीरता से लिया है। इससे पहले अप्रैल से सितंबर 2011 अवधि में औसत निर्यात वृद्धि 40.6 प्रतिशत तक रही। बहरहाल, बैंक ने कहा है कि निर्यात के मुकाबले आयात में गिरावट धीमी रही है जिससे व्यापार घाटा बढ़ा है।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि व्यापार घाटा बढने से चालू खाते के घाटे पर दबाव बढ़ा। इसके साथ साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भी अपने निवेश पोर्टफोलियों को नए सिरे से संतुलित करने की कारवाई शुरु कर दी। निर्यातकों ने निर्यात से होने वाली आय को विदेशों में ही रखा, देश में लाने में जल्दबाजी नहीं दिखाई, इन सभी बातों से रुपये पर दबाव बढ़ा। रिजर्व बैंक ने कहा कि पांच अगस्त जब अमेरिकी सरकार की ऋण साख कम की गई थी उसे दिन से 15 दिसंबर 2011 तक डालर के मुकाबले रुपया 17 प्रतिशत कमजोर हुआ है।
रिजर्व बैंक ने डालर के मुकाबले रुपये में आ रही भारी गिरावट को रोकने के उद्देश्य से कल ही विभिन्न वायदा अनुबंधों पर बंदिशें लगा दी। बैंक ने कंपनियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा विदेशी मुद्रा अनुबंधों के एक बार निरस्त होने के बाद फिर से बुकिंग की सुविधा को वापस ले लिया।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 16, 2011, 15:59