Last Updated: Sunday, December 23, 2012, 16:50

नई दिल्ली : लॉबिंग को परिभाषित करने के लिए एक कानूनी ढांचे की वकालत करते हुए कंपनी मामलात मंत्री सचिन पायलट ने शनिवार को कहा कि कंपनियों और उद्योग संगठनों को विभिन्न नीतिगत फैसलों पर उनके द्वारा सरकार से संपर्क (प्रस्तुतीकरण) की जानकारी देनी चाहिए।
पायलट ने कहा कि लॉबिंग को परिभाषित करने के बाद ही कारोबारी हितों के लिए कामकाज या प्रयास और रिश्वत में भेद किया जा सकेगा।
पायलट ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि जब यह परिभाषित किया जाए कि क्या स्वीकार्य है और क्या अस्वीकार्य। मुझे लगता है कि ज्यादातर देशों में इसकी परिभाषा है। लेकिन भारत में यह काफी अस्पष्ट है। यह मानना गलत होगा कि लॉबिंग का मतलब रिश्वत होती है। हालांकि, कुछ लोग इसे रिश्वत ही कहते हैं।’
हाल में वैश्विक रिटेलर वॉल-मार्ट तथा कई अन्य वैश्विक कंपनियों द्वारा भारत में प्रवेश के लिए अमेरिकी सांसदों के बीच लॉबिंग का मामला सामने आने के बाद संसद और बाहर इस मुद्दे पर गर्मागरम बहस छिड़ी थी।
अमेरिका में लॉबिंग की कानूनी तौर पर अनुमति है। वहां कंपनियों को लॉबिंग पर खर्च के बारे में तिमही आधार पर संसद को जानकारी देनी होती है। हालांकि भारत में लॉबिंग और उसकी जानकारी देने के बारे में कोई विशेष नियमन नहीं हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 23, 2012, 16:50