Last Updated: Friday, September 6, 2013, 21:37

सेंट पीटर्सबर्ग : भारत द्वारा व्यक्त चिंताओं पर ध्यान देते हुए जी20 ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि धन के प्रवाह और विनियम दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव उभरते देशों की अर्थव्यवस्थाओं और वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। समूह ने इस चुनौती का सामना करने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया है।
विकसित और विकासशील देशों के यहां आयोजित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में जारी घोषणापत्र में जी20 नेताओं ने प्रतिबद्धता जताई कि उनकी नीतियां घरेलू वृद्धि को समर्थन देने के साथ साथ वैश्विक वृद्धि और वित्तीय स्थायित्व को भी समर्थन देने वाली तथा दूसरों पर पड़ने वाले असर को संभालने वाली होंगी।
यह घोषणापत्र ऐसे समय आया है जबकि हाल के सप्ताहों में रुपये की विनिमय दर में भारी गिरावट दर्ज की गयी है।
समूह ने माना है कि घरेलू अर्थव्यवस्था में अपनाई जाने वाली नीतियों के दूसरे देशों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
शिखर सम्मेलन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस विचार से सहमति जताई कि विकसित देशों में वर्ष 2008 के आर्थिक संकट के बाद अपनाई गई मौद्रिक प्रोत्साहन की नीतियों को व्यवस्थित ढंग से वापस लिया जाना चाहिए।
घोषणापत्र में कहा गया है, ‘पहली बार मिलने के बाद पिछले पांच साल में जी20 की समन्वित कार्रवाई वित्तीय संकट से निपटने और विश्व अर्थव्यवस्था को सुधार के रास्ते पर लाने में काफी महत्वपूर्ण रही।’
इसमें कहा गया है ‘लेकिन हमारा काम अभी पूरा नहीं हुआ है और हम इस पर सहमत हैं कि जी-20 देशों को आधुनिक इतिहास के इस सबसे बड़े और लंबे संकट से निकलने का टिकाउ निदान तलाशना होगा और इसके लिये संयुक्त प्रयास करने होंगे।’
घोषणापत्र में वैश्विक स्तर पर उच्च आर्थिक वृद्धि और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिये गतिविधियां बढ़ाने पर जोर देने के साथ साथ दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में दीर्घकालिक वृद्धि की नींव रखने को कहा गया है। इसमें कहा गया है कि दूसरे देशों को नुकसान पहुंचाकर वृद्धि हासिल करने वाली नीतियों से बचा जाना चाहिये।
प्रोत्साहन पैकेज से वापसी के दौरान आने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुये जी-20 नेताओं ने कहा है कि मौद्रिक नीतियां विभिन्न केन्द्रीय बैंकों को मिले अधिकारों के दायरे में घरेलू मूल्य स्थिरता और आर्थिक सुधारों को समर्थन देने से निर्देशित होगी।
‘गैर-परंपरागत मौद्रिक नीति तथा मौद्रिक नीतियों में तालमेल बिठाने की नीति से हाल के वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को जो समर्थन मिला है हम उसकी पुष्टि करते हैं। मौद्रिक नीतियों को वापस लेने के जोखिम और नकारात्मक प्रभावों के प्रति हम सजग बने रहेंगे।’
घोषणा पत्र में कहा गया है, ‘हम दोहराते हैं कि वित्तीय प्रवाह और विनिमय दर में अत्यधिक उतार चढाव आर्थिक और वित्तीय स्थायित्व पर बुरा असर डाल सकता है जैसा कि हाल में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के देशों में देखा गया।’
जी20 देशों ने एक बार फिर पूरी तरह से बाजार आधारित विनिमय दर प्रणाली और तेजी से बढ़ने के प्रति प्रतिबद्धता जताई और कहा कि यह तत्कालीन बुनियादी कारकों को परिलक्षित करने वाली होनी चाहिये इसमें अधिक विसंगति से बचा जायेगा। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 6, 2013, 21:37