Last Updated: Thursday, November 22, 2012, 16:13

नई दिल्ली : रेटिंग एजेंसी मूडीज ने गुरुवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर बीती तिमाही में 5.5 फीसद से थोड़ी अधिक रहने का अनुमान है। एजेंसी ने कहा कि हाल में हुए सुधार से निवेशकों में आया उत्साह थम गया है और भारत की गहरे पैठी व्यवस्थागत समस्या का सच उभरने लगा है।
मूडीज ने कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तावित सुधार से अर्थव्यवस्था के प्रमुख जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है लेकिन इससे निकट भविष्य का दृष्टिकोण बेहतर नहीं हो सकता है। अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अपनी दीर्घकालिक संभावनाओं से बहुत कम है। हालांकि एजेंसी ने कहा कि वृद्धि दर मौजूदा नरमी के चक्र के नीचले स्तर पर होगा।
भारत की दूसरी तिमाही की वृद्धि दर की घोषण अगले सप्ताह 30 नवंबर को होनी है। मूडीज ने कहा कि इस तिमाही में वृद्धि दर सालाना स्तर पर 5.4 फीसद से थोड़ी अधिक होगी जो लगभग 2012 की पहली दो तिमाहियों के बराबर ही होगी लेकिन साल भर पहले की वृद्धि दर के स्तर से बहुत कम होगी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था की चुनौतियां रेखांकित होती हैं और इसे फिर से अपनी रफ्तार पकड़ने में थोड़ा वक्त लगेगा। हमारा अनुमान है कि आने वाली तिमाहियों में वृद्धि में थोड़ी तेजी आएगी और 2014 की दूसरी तिमाही तक यह अपनी रफ्तार पकड़ेगी। भारत की वृद्धि दर 2008 की वैश्विक वित्तीय नरमी से पहले आठ से नौ फीसद थी। वित्त वर्ष 2011-12 में वृद्धि दर घटकर नौ साल के न्यूनतम स्तर 6.5 फीसद पर आ गइ। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5.5-5.6 फीसद होनी चाहिए। मूडीज ने कहा कि हालिया आर्थिक आंकड़ा आम तौर पर हमारे अनुमान के मुताबिक है, कापरेरेट क्षेत्र अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर हिस्सा है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 22, 2012, 16:13