Last Updated: Monday, December 10, 2012, 13:07

ज़ी न्यूज ब्यूरो
वाशिंगटन : रिटेल सेक्टर की दिग्गज अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने भारत में अपने पैर पसारने का रास्ता तैयार करने के लिए लॉबिंग पर काफी मोटी रकम खर्च की है। यह रकम उसने अमेरिकी सांसदों का समर्थन जुटाने के लिए खर्च की है। इसके अलावा कई अन्य मसलों की लॉबिंग पर कंपनी ने वर्ष 2008 से अब तक कुल करीब 125 करोड़ रुपये (25 करोड़ डॉलर) की राशि खर्च की। वॉलमार्ट ने अमेरिकी सीनेट को सौंपे अपने लॉबिंग संबंधी दस्तावेज में यह जानकारी दी है। गौर हो कि रिटेल में एफडीआई की राह खुलते ही वॉलमार्ट और इसके जैसी अन्य कंपनियों के भारत आने का रास्ता साफ हो गया है।
साल 2012 में 30 सितंबर तक कंपनी ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) सहित विभिन्न मसलों पर विचार-विमर्श के लिए 18 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इनमें से 10 करोड़ रुपये सिर्फ जुलाई-सितंबर तिमाही में ही खर्च किए गए हैं। इसी तिमाही में (14 सितंबर को) भारत सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआइ को मंजूरी दी थी। वॉलमार्ट ने अमेरिकी सीनेट, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव, यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) और अमेरिकी विदेश विभाग में अपना पक्ष रखने के लिए लॉबिंग की। अमेरिका में कंपनियों को विभिन्न विभागों और एजेंसियों में अपना पक्ष रखने के लिए लॉबिंग करने की इजाजत है। हालांकि, उन्हें हर तिमाही में अमेरिकी सीनेट को अपनी लॉबिंग गतिविधियों की जानकारी देनी होती है।
वॉलमार्ट का कहना है कि साल 2009 की कुछ तिमाहियों को छोड़कर वह वर्ष 2008 के बाद से भारत आने को लेकर लगातार लॉबिंग कर रही है। दुनियाभर में वॉलमार्ट का सालाना कारोबार 444 अरब डॉलर का है। ग्लोबल स्तर पर कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 22 लाख है। भारत आने का रास्ता साफ होने के साथ ही कंपनी ने यहां के बाजार में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है। भारत का खुदरा बाजार करीब 500 अरब डॉलर का है। वर्ष 2020 तक इसके 1000 अरब डॉलर से ज्यादा होने का अनुमान है।
First Published: Monday, December 10, 2012, 13:07