'वोडाफोन पर फैसला निवेशकों के लिए अच्छा' - Zee News हिंदी

'वोडाफोन पर फैसला निवेशकों के लिए अच्छा'

नई दिल्ली: अनेक विशेषज्ञों का कहना है कि वोडाफोन के खिलाफ अधिग्रहण सौदे पर आयकर संबंधी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से देश में भारत में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों का उत्साह बढेगा। साथ ही इस तरह के मामलों में उलझी दूसरी कंपनियों ने भी इसकी खबर से राहत की सांस ली होगी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को व्यवस्था दी कि भारत से बाहर गठित कंपनियों के बीच विदेश में हुए विलय या अधिग्रहण के सौदों पर कर लगाना आयकर विभाग के दायरे में नहीं आता है। न्यायालय ने वोडाफोन को आयकर द्वारा आरोपित 4.4 अरब डालर के कर और दंड के दायित्व से मुक्त कर दिया है।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि सरकार को राजस्व का नुकसान होगा पर यह देश में विदेशी निवेश के लिए प्रोत्साहन का काम करेगा और इससे विश्व को भारत के बारे में अच्छा संकेत जाएगा।

 

पीडब्ल्यूसी इंडिया के कार्यकारी निदेशक संदीप लड्डा ने कहा ‘ इससे लंबे समय से चल रहा एक मामला निपटा है। इसके चालते पहले से इसी तरह के ढांचे वाली या इस तरह के ढांचे का विचार कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के समक्ष बड़ी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ था।’

 

वाकर, चंडियोक एंड कंपनी के ग्राहक सेवा निदेशक नितेश मेहता का भी मानना है ‘यह महत्वपूर्ण फैसला है कि जिससे इसी तरह की समस्या का सामना करने वाले करदाताओं को राहत की सांस मिलेगी।’

 

हाल में जिन बड़े हस्तांतरण हुए हैं जिनमें बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में इसी तरह के कर मामलों में उलझी हैं उनमें एबीमिलर द्वारा फास्टर की खरीज, सनोफी एवेंटिस द्वारा शांता बायोटेक का अधिग्रहण, क्राफ्ट फूड्स द्वारा कैडबरी की खरीद और वेदांत द्वारा केर्न इंडिया का अधिग्रहण शामिल है।

 

हालांकि विशेषज्ञों को आशंका है कि सरकार कानूनी में संशोधन कर सकती है जिससे इस फैसले का असर खत्म हो सकता है। डेलॉयट हास्किन्स एंड सेल्स की भागीदार पार्टनर नीरू आहूजा ने कहा ‘ इस फैसले से कर विभाग की राजस्व में बड़ा हिस्सा अख्तियार करने की कोशिश पर लगाम लगी है लेकिन इस जीत का जश्न थोड़े समय के लिए मनाया जा सकेगा क्योंकि उनके पास और तरीके है मसलन कर कानून में आम उल्लंघन रोधी कानून और संशोधन जिसे 2012 के बजट ही पेश किए जाने की संभावना है। ’

 

इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए वाकर, चंडियोक एंड कंपनी के मेहता ने कहा ‘हमें आगामी बजट को देखना होगा कि कहीं सरकार कोई संशोधन तो पेश नहीं करती कि इस फैसले का असर खत्म हो जाए।’  (एजेंसी)

First Published: Saturday, January 21, 2012, 17:57

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