Last Updated: Wednesday, April 18, 2012, 14:57
नई दिल्ली : छुट्यिों का मौसम शुरू होने से पहले ही सभी विमानन कंपनियों ने पिछले कुछ दिनों में कई व्यस्त मार्गों पर अपने विमान किराए 10-25 फीसदी तक बढ़े दिए है।
बजट सेवाएं मुहैया कराने वाली विमानन कंपनियों समेत अन्य कंपनियों द्वारा किराया बढ़ाने की एक प्रमुख वजह यह है कि वे तंगहाल किंगफिशर एयरलाइन्स की सेवाओं में कटौती का फायदा उठा रही हैं।
अधिकारियों ने कहा कि बढ़ा किराया विमानन कंपनियों द्वारा सौंपे गए मूल्य दायरे से अधिक नहीं है। उल्लेखनीय है कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) का एक विशेष प्रकोष्ठ नियमित तौर पर हवाई किराए की निगरानी करता है।
सरकार की दलील है कि हवाई किराए का नियमन बाजार करता है लेकिन यदि किराया कंपनियों द्वारा सौंपे गए मूल्य दायरे से अधिक हो तो वह कार्रवाई कर सकती है।
दिल्ली-मुंबई के व्यस्ततम मार्ग पर फरवरी में आने-जाने का किराया औसतन 9,000 से 10,000 रुपए के बीच था। उस समय किंगफिशर अपनी बहुत सी उड़ानें रद्द कर रही थी। लेकिन अब इस रूट पर आने-जाने का किराया 11,300 रुपए से उच्चतम 22,800 रुपए के बीच पहुंच गया है।
इसी तरह दिल्ली-बेंगलूर रूट पर इकोनॉमी क्लास का आने-जाने का किराया औसतन 12,000-15,500 रुपए से बढ़कर 17,000-23,000 रुपए के बीच हो गया। दिल्ली कोलकाता रूट पर आने-जाने का किराया 10,000-12,000 रुपए से बढ़कर 15,000-18,000 रुपए हो गया जबकि दिल्ली-श्रीनगर के बीच आने-जाने का किराया 10,500 रुपए से बढ़कर 34,194 रुपए हो गया।
दिल्ली-चेन्नई आने-जाने का किराया 15,000 से 20,500 रुपए के बीच है, जबकि दिल्ली-हैदराबाद रूट पर यह 15,000 से 19,000 रुपए के बीच है। ज्यादातर विमानन कंपनियों ने कहा कि बहुत कम टिकटें बची हैं।
ट्रैवेल एजेंटों ने भी इसकी पुष्टि की और कहा कि कुछ रूटों पर किंगफिशर की उड़ानें रद्द होने से किराया लगभग दोगुना हो गया है और कम किराए वाला खंड जल्दी ही खत्म हो जाएगा। उन्हें आशंका है कि मई में जब छुट्टियों का मौसम शुरू होगा तो किराया और बढेगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 19, 2012, 11:51