Last Updated: Friday, May 18, 2012, 15:25
नई दिल्ली : सरकार मौजूदा कठिन आर्थिक हालात को देखते हुए राजकोषीय घाटा कम करने के लिए मंत्रियों और अधिकारियों के विदेशी दौरे तथा पंचतारा होटलों में बैठकों पर खर्च कम कर सकती है। खर्च कम करने के लिए सरकार विभिन्न योजाओं के लिए आवंटित राशि में भी कमी ला सकती है। इन योजनाओं में अतिरिक्त धन की मांग करने से पहले उन्हें मौजूदा आवंटन के अनुरुप ही सीमित रखने पर जोर दिया जा सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘मितव्ययिता को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला राजकाज चलाने में आने वाले खर्च में कटौती और दूसरा विभिन्न योजनाओं को आवंटित राशि में कटौती से जुड़ा है।’
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राज्यसभा में बुधवार को कहा था कि सरकार वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिए खर्चों में कटौती के लिए कुछ अलोकप्रिय उपायों की घोषणा कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ अलोकप्रिय कदम उठाने जा रहा हूं। मैं खर्चों में कटौती के लिए कुछ उपायों की घोषणा करुंगा।’ योजनाओं पर खर्चों में कटौती के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ विचार विमर्श के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने इससे पहले वर्ष 2009 में भी विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को उनके गैर-योजना खर्च में 10 प्रतिशत कटौती लाने को कहा था। इसमें सुरक्षा संबंधी जरूरतों को छोड़कर प्रकाशन, पेशेवर सेवाएं, विज्ञापन और प्रचार, कार्यालय खर्च, पेट्रोल, तेल, लुब्रीकेंट्स पर खर्च कम करने को कहा गया। मंत्रियों से कहा गया कि वह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में इकोनोमी श्रेणी में यात्रा करें।
सरकार को राजकोषीय घाटा उसके बजट अनुमान से अधिक रहने की आशंका सताने लगी है। सब्सिडी का बढ़ता बोझ, धीमी पड़ती आर्थिक वृद्धि और पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दाम से सरकार अपने खर्चों को कम रखने पर जोर दे रही है।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, May 19, 2012, 14:16