Last Updated: Wednesday, July 31, 2013, 20:23

नई दिल्ली : लगातार कमजोर पड़ते रुपये की चुनौती का सामना कर रहे वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति को और उदार बनायेगी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को विदेशी बाजारों से धन जुटाने के लिये प्रोत्साहित करेगी। वित्त मंत्री के तौर पर एक साल का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुये चिदंबरम ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अर्थव्यवस्था पिछले साल के 5 प्रतिशत से बढ़कर चालू वित्त वर्ष के दौरान 5.5 से लेकर 6 प्रतिशत तक आर्थिक वृद्धि हासिल करेगी।
चिदंबरम ने पिछले साल एक अगस्त को वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला था। उन्होंने कहा कि चालू खाते के घाटे :कैड: को नियंत्रित करने के लिये सरकार गैर.जरूरी लक्जरी वसतुओं के आयात पर शुल्क बढ़ाने और निर्यात को प्रोत्साहन देने की संभावनाओं को टटोल रही है। पिछले वित्त वर्ष में कैड बढ़कर 4.8 प्रतिशत तक पहुंच गया। वित्त मंत्री ने कहा, गैरजरूरी लक्जरी वस्तुओं की मांग को कम करने के लिये हम गैर-तेल और गैर-स्वर्ण आयात पर कुछ अंकुश लगाने के बारे में सोच रहे हैं।
चालू खाते के घाटे को नियंत्रित दायरे में रखने के लिये सरकार जिन अन्य उपायों पर विचार कर रही है उनमें विदेशी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के नियमों को और सरल बनाना, सरकारी निवेश कोषों, पेंशन कोषों और प्रवासी भारतीय जमा को आकर्षित करना शामिल है। रुपये में गिरावट पर पूछे गये सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने रुपये की विनिमय दर के बारे में कोई निश्चित लक्ष्य तय नहीं किया है लेकिन उनका प्रयास रहेगा कि घरेलू मुद्रा में आने वाले भारी उतार चढाव को रोका जाये और सट्टेबाजी पर अंकुश लगे।
डॉलर के मुकाबले रुपया आज अब तक सर्वकालिक न्यूनतम स्तर 61.21 रुपये प्रति डॉलर तक गिर गया था पर बाद में सुधरकर 60.94 रुपये प्रति डॉलर तक आ गया। सरकार की तरफ से बॉंड इश्यू जारी किये जाने के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा, यह हमारे सामने एक विकल्प है लेकिन मैं जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करूंगा। सरकार ने हाल ही में कई क्षेत्रों में एफडीआई सीमा को उदार बनाते हुये उनमें निवेश सीमा बढ़ाई है और कुछ और क्षेत्रों में स्वत: स्वीकृति के जरिये विदेशी निवेश की छूट दी है। आयात में कमी लाने के मुद्दे पर चिदंबरम ने कहा कि इस बारे में अधिकारी गैर-जरूरी वस्तुओं की एक सूची तैयार कर रहे हैं, ताकि उनके आयात को कुछ सीमित किया जा सके।
कोयला और इलेक्ट्रानिक हार्डवेयर का विशेषतौर पर जिक्र करते हुये उन्होंने कहा, इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर का राजस्थान और केरल जैसे राज्यों में विनिर्माण किया जा सकता है। रिजर्व बैंक गवर्नर डी सुब्बाराव को सेवा विस्तार के मुद्दे पर चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने (गवर्नर ने) पद छोड़ने की इच्छा जाहिर की है, इसलिये सरकार ने नये गवर्नर की तलाश शुरू कर दी है। सुब्बाराव का रिजर्व बैंक गवर्नर पद पर कार्यकाल 4 सितंबर को समाप्त हो रहा है। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चिदंबरम ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि हम भारतीय अर्थव्यवस्था को 2013-14 में एक सीढी उपर ले जायेंगे। हम चालू वित्त वर्ष के दौरान 5.5 से 6 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं और इस लक्ष्य को पाने के लिये हम सभी तरह के उपाय करेंगे।
वित्त मंत्री ने हालांकि, निवेशकों की धारणा में सुधार लाने पर जोर देते हुये कहा कि इस मामले में उद्योगों को अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा, विदेशों में निवेश करते समय हमारे औद्योगिक घराने काफी आश्वस्त दिखते हैं, वही विश्वास उन्हें भारत में निवेश करते समय भी दिखाना चाहिये। कर्ज की लागत हालांकि, उंची है लेकिन यह इतनी भी उंची नहीं कि निवेश कार्य को ही टाल दिया जाये। रिजर्व बैंक की कल घोषित तिमाही मौद्रिक समीक्षा के बारे में चिदंबरम ने कहा कि इसमें रपये की विनिमय दर और मुद्रा बाजार में उठापटक शांत होने पर ब्याज दरों में नरमी की तरफ इशारा किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय और राजस्व घाटे के साथ साथ विनिवेश के लिये तय लक्ष्यों को हासिल कर लेगी।
चिदंबरम ने कहा, मैं वादा करता हूं, इस वर्ष हम दोनों (राजकोषीय और राजस्व) मोर्चों पर घाटे से निपट लेंगे। राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.8 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा गया है, यह लाल रेखा है और किसी भी स्थिति में इसे नहीं लांघा जायेगा। उन्होंने कहा, चालू खाते के घाटे (कैड) की जहां तक बात है, इस पर अंकुश की दिशा में कुछ और कदम उठाये जायेंगे। हमें उम्मीद है कि हम इस वर्ष भी कैड के लिये धन की पूरी व्यवस्था कर लेंगे और इसके लिये हमें अपने विदेशी मुद्रा भंडार पर हाथ नहीं लगाना होगा।’
चिदंबरम ने आगे कहा कि बिना अतिरिक्त उपायों के ही विदेशी मुद्रा प्रवाह 80 अरब डालर से अधिक होगा और यह कैड के लिये भुगतान करने को काफी होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने सोने के आयात को कम करने के लिये कुछ ठोस कदम उठाये हैं जिसके परिणामस्वरूप जून में इसका आयात कम हुआ लेकिन जुलाई में यह फिर बढ़कर 45 टन तक पहुंच गया। बहरहाल, जून.जुलाई दोनों महीनों में कुल मिलाकर सोने का आयात पिछले साल इन महीनों के दौरान हुये आयात से कम रहा है।
वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सोने के कुल आयात को पिछले साल के 845 टन से कम रखा जा सकेगा। इससे विदेशी मुद्रा की बचत में मदद मिलेगी जिसका चालू खाते के घाटे पर अनुकूल असर होगा। विदेशी मुद्रा जुटाने के लिये सरकारी बॉंड इश्यू जारी करने के सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि इसका विकल्प हमारे सामने मौजूद है लेकिन सरकार जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने रपये की कोई निश्चित विनिमय दर के बारे में सोचा है, चिदंबरम ने कहा, हम रुपये की किसी निश्चित विनिमय दर का लक्ष्य लेकर नहीं चल रहे हैं, लेकिन हम रुपये में सट्टेबाजी चलती रहे यह नहीं देखना चाहते हैं। विशेषकर विदेशी बाजारों में यह नहीं होना चाहिये। पिछले दो सप्ताह के दौरान रिजर्व बैंक ने सरकार के साथ सलाह मशविरा करने के बाद रपये को स्थिरता प्रदान करने के लिये कई उपाय किये। हमें रुपये को स्थिर करने की आवश्यकता है और आगे चलकर आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। जून-जुलाई में रुपये का अवमूल्यन अप्रत्याशित था।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की भूमिका के बारे में पूछे गये सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि ऑडिट करने वाली संस्था द्वारा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना गलत है। कैग की हाल की रिपोर्ट से सरकार को काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। नीतियों और गड़बड़ियों, गलतियों, अनियमितताओं के बीच स्पष्ट भेद है। सरकार नीतियां बनाती हैं, यदि नीतियां गलत हैं तो संसद में सरकार की खिंचाई होगी, लोग सरकार की खिंचाई करेंगे।
मुझे नहीं लगता कि नीतियों पर कैग सवाल उठा सकता है। नीतियों के क्रियान्वयन में यदि कोई विसंगति आई अथवा गलत ढंग से किया गया तो गलत करने वाले को दंडित किया जाना चाहिये। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 31, 2013, 18:41