Last Updated: Tuesday, July 30, 2013, 23:47
मुंबई : एक मजिस्ट्रेट ने सहारा समूह की दो कंपनियों और समूह के प्रमुख सुब्रत राय समेत शीर्ष अधिकारियों को आज नया सम्मन जारी कर उन्हें 30 सितंबर को अदालत में उपस्थित होने को कहा। कंपनी अधिनियमन और सेबी अधिनियमन के नियमनों का कथित उल्लंघन करने के संबंध में ये सम्मन जारी किए गए हैं।
अदालत ने इससे पहले सेबी द्वारा दायर मामले को संज्ञान में लेते हुए सम्मन जारी किए थे, लेकिन सम्मन पहुंचाने के संबंध में कोई रिपोर्ट (सेबी द्वारा) दाखिल नहीं किया गया था जिसके बाद अदालत ने उन्हें नए सम्मन जारी किए।
यह आदेश ऐसे समय में आया है जब सेबी ने सुब्रत राय और उनकी दो फर्मों व निदेशकों द्वारा निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपये रिफंड करने के आदेश का अनुपालन नहीं करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की उच्चतम न्यायालय में आज जोरदार अपील की।
मजिस्ट्रेट ने 7 जुलाई को सेबी की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए दो कंपनियों-सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कार्प लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्प लिमिटेड व इनके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कंपनी अधिनियम व सेबी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कानूनी प्रक्रिया शुरू की थी।
सेबी ने दोनों कंपनियों के खिलाफ शिकायतें मिलने के बाद 2008 में जांच शुरू की थी। इन कंपनियों पर आरोप लगाया गया था कि वे लागू सांविधिक आवश्यकताओं का अनुपालन किए बगैर देशभर में निवेशकों को परिवर्तनीय बांड जारी कर रही हैं। जांच में पाया गया था कि दोनों कंपनियों ने 3 करोड़ निवेशकों को वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) जारी कर करीब 25,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।
इसके बाद, सेबी ने 2011 में एक आदेश पारित कर दोनों कंपनियों और इनके प्रवर्तकों व निदेशकों को ओएफसीडी द्वारा जुटाई गई राशि 15 प्रतिशत ब्याज के साथ निवेशकों को लौटाने का निर्देश दिया था। कंपनियों ने इस आदेश को प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी लेकिन न्यायाधिकरण द्वारा अक्तूबर, 2011 में इसे सही ठहराया गया और उच्चतम न्यायालय ने भी अगस्त, 2012 में इस आदेश को उचित ठहराया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 30, 2013, 23:47