Last Updated: Sunday, September 22, 2013, 18:10

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने रविवार को भारतीय कार्पोरेट जगत से यह ध्यान देने को कहा कि नए भूमि अधिग्रहण विधेयक के जरिए कुछ बड़े सामाजिक सरोकारों का समाधान किया जाना है। उनहोंने कहा कि कार्पोरेट क्षेत्र को ऑंख मूंद का यह नहीं सोचना चाहिए कि भारत एक और सिंगापुर बन जाएगा।
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लेकर कार्पोरेट जगत की चिंता इस लिए है क्योंकि इस विधेयक को सही तरीके से नहीं देखा जा रहा है और विकास के बारे में कंपनियों का नजरिया ‘बहुत संकीर्ण ’ है।
रमेश ने कहा, ‘उद्योग जगत में बड़े समाहजिक मुद्दों के प्रति संवदना होनी चाहिए। उन्हें आंख मूद कर यह नहीं सोचना चाहिए कि भारत एक और सिंगापुर या चीन बन जाएगा। भारत भारत है। हमारी अपनी समस्याएं और परिस्थितियां है। आपको उनसे निपटना है।’
उन्हांने कहा कि उद्योगों की चिंता जायज है पर ‘लेकिन उसे बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अधिग्रहण की वित्तीय लागत बढेगी। भूमि अग्रिहण पर होने वाला संघर्ष कम होगा। यह बात माओवाद से प्रभावित इलाकों के लिए विशेष महत्व की है।’
उन्होंने कहा कि किसानों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना राष्ट्रहित में जरूरी है। उन्होंने उद्योग जगत को समझाने के लिए कहा, ‘यह भूमि अधिग्रहण विधेयक है। भूमि क्रय विधेयक नहीं। यदि किसी बिल्डर को जमीन की जरूरत है तो वह जा कर सीधे खरीद सकता है। उद्यमी को जमीन खरीदनी है वह जा कर खरीद सकता है।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 22, 2013, 18:10