`सारदा समूह का चिटफंड कारोबार से लेना-देना नहीं`

`सारदा समूह का चिटफंड कारोबार से लेना-देना नहीं`

नई दिल्ली : चिट फंड इकाइयों के संगठन ऑल इंडिया एसोसिएशन आफ चिट फंड्स (सीएफएआई) ने कोलकाता के सारदा समूह के करोड़ों रपये के वित्तीय घोटाले को ‘चिटफंड घोटाला’ बताए जाने पर आपत्ति की है। एसोसिएशन का कहना है कि सारदा ग्रुप की कोई इकाई पंजीकृत चिट फंड की तरह काम नहीं कर रही है। एसोसिएशन के महासचिव टी एस शिवरामकृष्णन ने कहा, ‘‘मल्टी लेवल मार्केटिंग या पोंजी योजना की विफलता को चिट फंड कंपनी की असफलता बताया जा रहा है। यह पूरी तरह अनुचित है।’’

यहां एक संवाददाता सम्मेलन में शिवरामकृष्णन ने कहा, ‘‘ सारदा समूह रीयल्टी और रिजार्ट क्षेत्र सहित करीब 160 गतिविधियों पंजीकृत हैं। लेकिन राज्य में उसकी एक भी गतिविधि चिट फंड के रूप में पंजीकृत नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि हमारी शिकायत यह है कि किसी अन्य गतिविधि की विफलता को चिटफंड की असफलता बताया जा रहा है। एसोसिएशन ने मांग की है कि सरकार चिट फंड को लेकर स्थिति साफ करे।

उन्होंने बताया कि देश में कुल पंजीकृत चिट फंडों की संख्या 10,000 है जिनमें हर वर्ष औसतन 30,000 करोड़ रपए का अंशदान हो रहा है। ‘‘हमारी निगरानी चिट फंड कानून, 1982 के अंतर्गत की जाती है। यह कानून समूचे देश में अधिसूचित है।’’ शिवरामकृष्णन ने कहा कि चिट फंड क्षेत्र का प्रथान विनियामक भारतीय रिजर्व बैंक है, इसके लिए अधिनिमय केंद्र सरकार ने तथा नियम राज्य सरकारों ने बनाए हैं। उन्होंने कहा कि चिट फंड केवल अपने सदस्यों से ही अंशदान के रूप में धन ले सकते हैं और वे जतना से कोई जमा नहीं ले सकते पर सारदा समूह ने निवेशकों से धन लिए और मल्टी लेवल मार्केटिंग के रूप में काम किया। (एजेंसी)

First Published: Monday, April 29, 2013, 19:17

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