Last Updated: Tuesday, June 12, 2012, 23:13
नई दिल्ली : मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय ने यह कहते हुए सीआरआर में कटौती किए जाने की वकालत की कि इससे कारोबार के लिए अधिक रिण सुलभ होगा और आर्थिक वृद्धि दर में तेजी आएगी।
यहां वित्त मंत्री के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों की बैठक के दौरान वित्तीय सेवा विभाग के सचिव डीके मित्तल ने कहा कि सीआरआर का मुद्दा नियामक (आरबीआई) देखता है। लेकिन (सार्वजनिक क्षेत्र के) बैंकों की स्वामी होने के नाते सरकार सीआरआर में कटौती का स्वागत करेंगे। सीआरआर बैंकों में जमा राशि का वह हिस्सा है जिसे बैंकों को आरबीआई पास रखने की आवश्यकता होती है। रिजर्व बैंक द्वारा 18 जून को होने वाली मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा बैठक में आर्थिक वृद्धि दर में तेजी लाने के उपायों की घोषणा किए जाने की उम्मीद है।
मित्तल ने आगे कहा कि यह (सीआरआर में कटौती) मौद्रिक नीति का मुद्दा है, लेकिन आपको दो पहलुओं को समझना होगा। आज सीआरआर 4.75 प्रतिशत है। मुझे लगता है कि इसे घटाए जाने की जरूरत है। यहां 65 लाख करोड़ रुपये जमा है और 3.20 लाख करोड़ रुपये जमा रिजर्व बैंक के पास है जो ब्याजमुक्त है। दूसरी बात, अगर इसे पैसे को बैंकिंग तंत्र में जारी कर दिया जाता है तो ऋण की उपलब्धता बढ़ेगी। हालांकि, इस प्रवाह का मुद्रास्फीति पर क्या असर होगा। रिजर्व बैंक को इनके बीच संतुलन बनाना है और यह देखना उसके दायरे में है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 12, 2012, 23:13