Last Updated: Thursday, August 23, 2012, 20:22
कोलकाता : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष प्रतीप चौधरी ने गुरुवार को कहा कि बैंक ने बैंकिंग प्रणाली से नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को हटाने का प्रस्ताव रखा है। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के एक कार्यक्रम के इतर मौके पर चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, `सीआरआर से किसी भी पक्ष को फायदा नहीं है। यह बैंकों पर अनुचित रूप से डाला गया है। बीमा कम्पनियों, गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों (एनबीएफसी) और म्यूचुअल फंड पर सीआरआर क्यों नहीं लगाया जाता, वे भी तो आम लोगों से जमा हासिल करते हैं।`
उन्होंने कहा, `इससे न भारतीय रिजर्व बैंक को फायदा है, न बैंकों को, न उद्योग को और न ही देश केा फायदा है। कई अन्य बैंकों और वित्त मंत्रालय ने भी सीआरआर को हटाने का सुझाव दिया है।` चौधरी के मुताबिक सीआरआर के रूप में बैंकों को अपनी कुल जमा में से एक निश्चित राशि रिजर्व बैंक के पास जमा रखनी होती है। इस पर कोई ब्याज नहीं मिलता है। नतीजा उद्योग के लिए ऋण महंगा हो जाता है और किसी को कुछ लाभ नहीं होता है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 23, 2012, 20:22