Last Updated: Tuesday, January 3, 2012, 11:52
नयी दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने शेयर बाजार नियामक सेबी के आदेश के खिलाफ रीयल्टी कंपनी डीएलएफ की याचिका खारिज करते हुए मंगलवार को कंपनी पर 2 लाख रुपये हर्जाना लगाया। कंपनी पर आरोप है कि उसने अपनी सहयोगी फर्म सुदीप्ति एस्टेट्स के साथ साठगांठ कर दिल्ली के एक व्यवसायी को 34 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने बाजार नियामक के आदेश के खिलाफ डीएलएफ की याचिका खारिज करते हुए कहा, मैं दो लाख रुपये हर्जाना लगाने के साथ याचिका खारिज करता हूं। यह मुकदमा खर्च चार सप्ताह के भीतर जमा किया जाए। न्यायमूर्ति सांघी ने कहा कि कंपनी के खिलाफ सेबी का आदेश ‘कारणों पर आधारित’ है। सेबी के आदेश से पता चलता है कि इसे निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि इसे मनमाने ढंग से पारित किया गया है।
डीएलएफ ने याचिका दायर कर 20 अक्तूबर को जारी सेबी के आदेश को खारिज करने का अनुरोध किया था। सेबी ने शिकायतकर्ता किमसुख कृष्ण सिन्हा द्वारा 2007 में डीएलएफ और सुदीप्ति एस्टेट्स के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच का आदेश दिया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि सेबी के अधिकारों को सीमित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इसका गठन शेयर बाजारों से जुड़े मुद्दों को देखने के लिए किया गया है। न्यायालय ने डीएलएफ की सहयोगी सुदीप्ति की यह दलील भी खारिज कर दी कि सेबी के पास सुदीप्ति की भूमिका की जांच करने का अधिकार नहीं है क्योंकि बाजार में उसे शेयर सूचीबद्ध नहीं हैं।
दिल्ली में सुदीप्ति के खिलाफ दर्ज कराए एफआईआर में सिन्हा ने आरोप लगाया था कि कंपनी और इसके निदेशकों. एजेंटों ने उन्हें कुछ भूखंडों का हस्तांतरण करने के लिए ‘लोभ दिया और विवश किया’ और भूखंड को विकसित करने और उन्हें अधिक रिटर्न देने का वादा पूरा नहीं किया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 3, 2012, 21:22