Last Updated: Monday, March 12, 2012, 03:33
नई दिल्ली: टाटा घराने के प्रमुख रतन टाटा 2008 में जेनेवा मोटर शो में अपनी लखटकिया कार नैनो को पेश करने के लिए स्ट्रेचर पर लेटकर गये थे और उनके साथ एक डाक्टर था। टाटा उस समय पीठ की चोट से जूझ रहे थे।
टाटा ने एक टीवी चैनल को दिये साक्षात्कार में यह बात कही। जेनेवा में नैनो को पेश करने के अवसर को याद करते हुए उन्होंने कहा, यह मेरे लिए बच्चे जैसी है इसलिए मैं डाक्टर के साथ स्ट्रेचर पर वहां गया। नैनो को पेश करने तथा संबोधन से पहले डाक्टर ने मुझे टीका लगाया जिसने मुझे सुन्न कर दिया और मुझे तो यह भी नहीं पता था कि मैं नैनो को छू रहा हूं। उन्होंने बताया कि संबोधन के बाद फोटो खिंचवाए और वापस स्ट्रेचर पर लेट गए। संवाददाता सम्मेलन में गए और फिर स्ट्रेचर पर ही लेटकर बंबई लौटे।
टाटा ने कहा कि चोट के बावजूद इस यात्रा से उनकी पीठ को बहुत नुकसान पहुंचा। लेकिन जेनेवा मोटर शो में नैनो ने रंग जमा दिया। उन्होंने कहा, आप जानते हैं कि कोरियाई और जापानी लोग कैमरों के साथ कार में झांक झांक कर देख रहे थे। जर्मन कार निर्माता व अभियंता कार के दरवाजे खोल खोल कर देख रहे थे कि क्या कार वास्तविक है।
टाटा नैनो को जनवरी 2008 में दिल्ली में पेश किया गया जबकि कुछ महीने बाद इसे बाकी दुनिया के लिए जेनेवा मोटर शो में पेश किया गया। रतन टाटा ने कहा कि नैनो से जो अपेक्षा की गई थी वह उन सब पर खरा उतरी। उसे वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता मिली। कहीं किसी तरह का उपहास या अनिच्छा नहीं थी वास्तव में भारत में कहीं अधिक उपहास था।
टाटा ने पिछले सप्ताह कहा था कि उन्होंने नैनो कार के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है और यह अधिक संस्करणों में उपलब्ध होगी जिसमें डीजल व इलेक्ट्रिक संस्करण भी शामिल है। कंपनी की 624 सीसी पेट्रोल इंजिन में भी नैनो को पेश करने की योजना है।
इसी साल टाटा ने स्वीकार किया था कि टाटा मोटर्स नैनो कार की सही मार्केटिंग नहीं कर पाई और इस गरीब की कार की धारणा को तोडने की कोशिश की जाएगी। कार का शुरुआती मूल्य 1.40 लाख रपये है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, March 12, 2012, 09:03