Last Updated: Friday, February 3, 2012, 15:27
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के 2जी घोटाला मामले में जिन विभिन्न कंपनियों के 122 लाइसेंस रद्द किए गए हैं, उनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 10000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का इन कंपनियों पर 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज हैं, जिसमें से 7500 करोड़ रुपये का कर्ज विभिन्न परिसंपत्तियों के एवज में दिया गया है।
अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय शेष 2500 करोड़ रुपये के कर्ज की गारंटी के बारे में भी जानकारी जुटा रहा है। उच्चतम न्यायालय के आदेश से रद्द हुए लाइसेंस सूची में शामिल कंपनियों को दिए कर्ज के बारे में समुचित जानकारी जुटाई जा रही है। अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कुल परिसंपत्तियों के आकार को देखते हुए इन दूरसंचार कंपनियों को दिए गए कर्ज का आकार बहुत छोटा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक फैसले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के कार्यकाल में दिए गए 122 टूजी स्पेक्ट्रम लाइसेंस का आवंटन रद्द कर दिया था। न्यायालय ने आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह असंवैधानिक और मनमाना बताया। भारतीय स्टेट बैंक का इन कंपनियों में 4500 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, ऑरिएंटल बैंक आफ कामर्स ने भी उन कंपनियों को कर्ज दिया है, जिनके लाइसेंस रद्द हुए हैं।
पीएनबी ने समूचे दूरसंचार क्षोत्र को 10,923 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। 2जी सेवाओं के लिए इसमें से 508 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया। हालांकि बैंक के अनुसार लाइसेंस के लिए उसने कोई कर्ज नहीं दिया। कॉरपोरेशन बैंक फैसले से प्रभावित एक कंपनी में उसका 146 करोड़ रुपये का कर्ज है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, February 3, 2012, 20:58