2जी मामला: मित्तल, रुईया ने भरा निजी मुचलका

2जी मामला: मित्तल, रुईया ने भरा निजी मुचलका

2जी मामला: मित्तल, रुईया ने भरा निजी मुचलकानई दिल्ली : भारती सेलुलर के मुख्य प्रबंध निदेशक सुनील मित्तल और एस्सार समूह के प्रमोटर रवि रुईया अतिरिक्त 2जी स्पेक्ट्रम मामले में आज दिल्ली की एक अदालत में पेश हुए और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में निजी मुचलका भरा। दोनों आरोपी शीर्ष अदालत के आदेश पर पेश हुए और अलग अलग निजी मुचलका भरा।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी ने सुनवाई की अगली तारीख तक मुचलका स्वीकार कर लिया और मामले को आगे की कार्यवाही के लिए 22 अप्रैल तक स्थगित कर दिया। ‘‘15 अप्रैल के आदेश में उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई को 22 अप्रैल तक स्थगित करने का निर्देश दिया है । तदनुसार मामला 22 अप्रैल तक स्थगित किया जाता है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस संबंध में आरोपी सुनील मित्तल और रवि रुईया को निजी मुचलका भरने का भी निर्देश दिया गया था। उसके अनुसार दोनों निजी मुचलका जमा कर चुके हैं और यह सुनवाई की अगली तारीख तक स्वीकार किया जाता है ।’’ उन्होंने मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल तक टाल दी।

प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कल कहा था कि वह सीबीआई की विशेष अदालत में मित्तल और रुईया के खिलाफ सुनवाई स्थगित करने के अपने आदेश की अवधि को बढ़ा रही है। दोनों ने अपने खिलाफ सम्मन जारी किए जाने को चुनौती दी थी। विशेष अदालत को इस मामले में 22 अप्रैल को सुनवाई करनी है।

हालांकि, न्यायालय ने मित्तल और रुईया से कहा कि वे 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के समक्ष मंगलवार (आज) को हाजिर हों और भविष्य में अदालत में उपस्थित होने का आश्वासन देते हुये निजी मुचलका दें।

आज की कार्यवाही के दौरान पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष विशेष सीबीआई अदालत में पेश हुए और मामले में जमानत के लिए आवेदन दायर किया। उनके खिलाफ भी सम्मन जारी किया गया था। अदालत संभवत: घोष के आवेदन पर 22 अप्रैल को विचार करेगी। मामले में सह आरोपी और आरोपी कंपनी हचिसन मैक्स टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक कनाडा आधारित आप्रवासी भारतीय असीम घोष को अब तक सम्मन तामील नहीं हो पाए हैं।

सम्मन जारी किए जाने के आदेश को मित्तल और रुईया द्वारा चुनौती दिए जाने पर शीर्ष अदालत ने पूर्व में विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे मामले को आज के लिए स्थगित कर दिया था। विशेष अदालत ने 19 मार्च को मित्तल, रुईया, जो उस समय आरोपी कंपनियों में से एक स्टर्लिंग सेल्युलर लिमिटेड के तत्कालीन निदेशक थे, और असीम घोष को सम्मन भेजा था। मामले में सीबीआई द्वारा पिछले साल 21 दिसंबर को दायर किए गए आरोपपत्र में उनके नाम नहीं थे।

अदालत ने इन तीनों के अतिरिक्त आरोपी श्यामल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों.. भारती सेल्युलर लिमिटेड, हचिसन मैक्स टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड (अब वोडाफोन इंडिया के नाम से जानी जाती है) और स्टर्लिंग सेलुलर लिमिटेड (अब वोडाफोन मोबाइल सर्विस लिमिटेड के नाम से जानी जाती है) के खिलाफ भी सम्मन जारी किए थे। इन तीनों दूरसंचार कंपनियों की ओर से आज अदालत में उनके वकील पेश हुए।

दूरसंचार विभाग द्वारा अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित मामले में सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में तीन दूरसंचार कंपनियों का नाम आरोपी के रूप में लिया था। इस मामले के चलते सरकारी खजाने को कथित तौर पर 846 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा था। उच्चतम न्यायालय में जब सीबीआई ने मित्तल के आग्रह का यह कहकर विरोध किया कि मामले की जांच के दौरान उनके खिलाफ सबूत पाया गया है तो शीर्ष अदालत ने जांच एजेंसी से सवाल किया कि तो फिर उनका नाम आरोपपत्र में क्यों नहीं लिया गया। सीबीआई ने श्यामल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों..भारती सेलुलर लिमिटेड, हचिसन मैक्स टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग सेलुलर लिमिटेड के खिलाफ पिछले साल 21 दिसंबर को आरोपपत्र दायर किया था।

यद्यपि मित्तल, रुईया और असीम घोष का नाम सीबीआई के आरोपपत्र में आरोपी के रूप में नहीं था, लेकिन विशेष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वह मामले का संज्ञान ले रही है और उनके सहित सभी सात आरोपियों को सम्मन जारी कर रही है। विशेष अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि मित्तल, रुईया और असीम घोष अपनी अपनी कंपनियों के नियंत्रक के पद पर थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने भादंसं की धारा 120..बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण कानून के प्रवाधानों के तहत आरोपपत्र दायर किया है।(एजेंसी)

First Published: Tuesday, April 16, 2013, 12:40

comments powered by Disqus