Last Updated: Thursday, October 18, 2012, 21:05

नई दिल्ली : पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर ने गुरुवार को कहा कि वह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए प्रवेश शुल्क 35,000 करोड़ रुपये रखने के पक्ष में थे। यह उस राशि का 21 गुना बैठता जिस पर 2008 में ये लाइसेंस आवंटित किए गए थे।
चंद्रशेखर ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 2007 में पत्र लिखकर स्पेक्ट्रम का यह मूल्य रखने का सुझाव दिया था, जिससे सरकार को अधिक राजस्व मिल सके। चंद्रशेखर जून, 2007 से जून, 2011 तक कैबिनेट सचिव रहे।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने उनसे 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर ट्राई की सिफारिशों के वित्तीय प्रभाव का आकलन करने को कहा था। सूत्रों ने बताया कि इसके जवाब में चंद्रशेखर ने 26 नवंबर, 2007 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि प्रवेश शुल्क या राजस्व भागीदारी या स्पेक्ट्रम शुल्क में बदलाव किया जाए, तो इससे सरकार को अधिक राजस्व कीप प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने 1,658 करोड़ रुपये के प्रवेश शुल्क को बढ़ाकर 35,000 करोड़ रुपये करने का भी सुझाव दिया था।
पूर्व कैबिनेट सचिव ने कहा कि इस मामले में दूरसंचार विभाग को मौजूदा नीति के हिसाब से फैसला लेना था। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस शुल्क पर आवंटन किया गया उससे किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। 25 मार्च, 2011 के विवादास्पद नेट के बारे में चंद्रशेखर ने जेपीसी के समक्ष कहा कि यह नोट पूरी तरह वित्त मंत्रालय का आंतरिक दस्तावेज था। इस नोट में कहा गया था कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम को नीलामी पर जोर देना चाहिए था। उन्होंने जेपीसी के समक्ष लिखित रूप से कहा कि मैंने वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार नोट न तो कभी मांगा और न ही उसे कभी देखा। यह पूरी तरह वित्त मंत्रालय का आंतरिक नोट है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 18, 2012, 21:05