Last Updated: Thursday, January 10, 2013, 20:55

लंदन : एक नई वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहतर भंडारण सुविधाओं के अभाव में भारत में हर साल दो करोड़ टन से अधिक गेहूं बेकार हो जाता है। यह मात्रा आस्ट्रेलिया के समूचे उत्पादन के बराबर है। खाद्यान्न बर्बादी पर इंस्टीट्यूशन ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स (आईएमई) की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में जितना अनाज पैदा होता है उसमें से करीब करीब आधा अनाज मनुष्य के काम नहीं आ पाता।
खाद्यान्न बर्बादी पर तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसे बड़े विकासशील देशों में अनाज की बर्बादी अधिक होती है। भारत में करीब दो करोड 10 लाख टन अनाज बर्बाद हो जाता है जो कि आस्ट्रेलिया के समूचे अनाज उत्पादन के बराबर है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में ‘कुल उत्पादन का करीब 16 प्रतिशत यानी 32 लाख टन सालाना बर्बादी होती है। यहां सालाना 32 लाख टन अनाज की बर्बादी होती है। अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं के अभाव से चुहों और दूसरे जानवरों की वजह से काफी अनाज खराब हो जाता है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि फल एंव सब्जियों में खराब होने की मात्रा अनाज से भी ज्यादा है। आज जारी की गई ‘ग्लोबल फूड वेस्ट नॉट वांट नॉट’ नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शीतित परिवहन सुविधा के अभाव, खराब सड़कें, प्रतिकूल मौसम और भ्रष्टाचार की वजह से उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुंचते पहुंचते 40 प्रतिशत फल एवं सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, January 10, 2013, 20:55