Last Updated: Monday, January 14, 2013, 14:52

नई दिल्ली: सरकार ने सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियमों (गार) पर गठित विशेषज्ञ समिति की प्रमुख सिफारिशों को कुछ बदलावों के साथ स्वीकार करते हुये ‘गार’ का क्रियान्वयन दो साल के लिये और टाल दिया। नए निर्णय के अनुसार गार के प्रावधान अब पहली अप्रैल 2016 से लागू होंगे।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने ‘गार’ दिशानिर्देशों को अंतिम रुप देने के लिये प्रधानमंत्री द्वारा गठित पार्थसारथी शोम समिति की अंतिम रिपोर्ट पर लिये गये निर्णय की आज जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति की प्रमुख सिफारिशों को कुछ बदलावां के साथ स्वीकार कर लिया गया है। आयकर अधिनियम 1961 में वित्त विधेयक 2012 के जरिए संशोधन करते हुये उसमें एक नया अध्याय 10ए जोड़कर ‘गार’ नियमों को शामिल किया गया था। उसके बाद इसके दिशानिर्देशों का मसौदा भी जारी कर दिया गया।
वित्तमंत्री ने कहा मौजूदा प्रावधान के अनुसार गार नियमों को 1 अप्रैल 2014 से अमल में आना था, सरकार ने इसे अब 1 अप्रैल 2016 से लागू करने का फैसला किया है।
गार नियमों को लाने का मकसद विदेशी निवेशकों को ऐसे रास्ते अपनाने से रोकना है जिनका मुख्य ध्येय केवल कर लाभ प्राप्त करना हो। सरकार ऐसे रास्ते को कर से बचने का एक अमान्य रास्ता मानेगी और उसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। गार के मौजूदा नियमों में इस संबंध में लिखा गया है कि जिसका मुख्य ध्येय या जिनके मुख्य ध्येयों में से एक धेयय। इस प्रावधान को आज घोषित निर्णय के अनुरूप संशोधित किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि ‘गार’ उन विदेशी संस्थागत निवेशकों पर लागू नहीं होगा जो समझौते के तहत आयकर अधिनियम की धारा 90 और 90ए के तहत कोई लाभ नहीं लेंगे।
एफआईआई में जो प्रवासी निवेशक होंगे उनपर भी गार लागू नहीं होगा। आयकर की धारा 90 और 90ए के तहत दोहरे कराधान से बचने का समझौता विभिन्न देशों के साथ किया जाता है। इसमें कंपनियों को दोहरे कराधान से बचने की व्यवस्था है। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 14, 2013, 14:52