Last Updated: Friday, October 19, 2012, 19:38

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता का हवाला देते हुए इस बात को स्वीकार किया कि 8 प्रतिशत की सालाना आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना आसान नहीं है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसे हासिल करना असंभव भी नहीं है। सेना कमांडरों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि देश को हर साल श्रम बाजार में आने वाले एक करोड़ लोगों के लिए नए रोजगार के अवसरों के सृजन को सालाना 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर की दरकार है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह आसान काम नहीं है। खासकर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक वातावरण को देखते हुए। लेकिन यह ऐसा लक्ष्य भी नहीं है, जो हासिल नहीं हो सकता। लेकिन इसके लिए हमने अपनी निवेश की दर में 37 से 38 फीसदी का इजाफा करना होगा, जो तीन साल पहले स्थिति थी।’ सिंह ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौतियों से निपटा है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं में लगातार जारी अनिश्चितता तथा कमजोरी की वजह से वृद्धि की रफ्तार प्रभावित हुई है। इसमें एशिया भी शामिल है। भारत को आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट, घटते निर्यात तथा बढ़ते घाटे जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा है।’
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.5 फीसदी पर आ गई है। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 8 प्रतिशत थी। वहीं निर्यात भी मई से अगस्त तक घटा है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में ही राजकोषीय घाटा 4.12 लाख करोड़ रुपए के बजटीय लक्ष्य के 66 प्रतिशत को छू चुका है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि निवेश तथा बचत को बढ़ाने के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने की जरूरत है। खासकर बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, उसके साथ ही हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ती जाएंगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा देश के निर्यात में वृद्धि और विविधीकरण के साथ हमें जल दस्युओं जैसे जोखिमों से निपटने के भी उपाय करने होंगे। सिंह ने कहा कि देश के समुद्रों की सुरक्षा भारत की ऊर्जा सुरक्षा तथा अन्य महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच के लिए भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के बाहर रहने वाले भारतीयों तथा विदेशी निवेश को आश्वस्त किए जाने की जरूरत है। इसलिए सुरक्षा हमारी राष्ट्रीय ताकत का महत्वपूर्ण स्तंभ है। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 19, 2012, 19:38