Last Updated: Monday, June 17, 2013, 00:06

मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक ने कहा है कि अगर रिजर्व बैंक नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती नहीं कर सकता है तो उसे बैंकों को इस पर ब्याज देना चाहिए। सीआरआर के तहत बैंकों को एक निश्चित राशि रिजर्व बैंक के पास रखनी पड़ती है।
रिजर्व बैंक की कल पेश होने वाली मध्य तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले स्टेट बैंक (एसबीआई) ने यह बात कही है।
एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने हाल ही में कहा था, ‘अगर मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के के कारण नकद आरक्षित अनुपात में कटौती नहीं की जा सकती है तो रिजर्व बैंक हमें सीआरआर पर ब्याज दे। हम तब निश्चित रूप से इसका लाभ आगे बढ़ाएंगे। अगर रिजर्व बैंक मेरे सीआरआर पर 500 करोड़ रुपए ब्याज देता है तो मैं वादा करता हूं कि इसका पूरा लाभ आधार दर कम कर पूरा लाभ कर्ज लेने वालों को दूंगा।’
पिछले साल उन्होंने सीआरआर समाप्त करने का मुद्दा उठाया था जिसको लेकर तीखी बहस हुई थी।
इस मांग पर रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने कहा था कि अगर एसबीआई चेयरमैन मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत काम करने में कठिनाई महसूस करते हैं तो उन्हें ‘किसी अन्य क्षेत्र’ में जाने पर विचार करना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 17, 2013, 00:06