Last Updated: Tuesday, June 4, 2013, 22:48

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय ने निर्माण क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एम्मार एमजीएफ लैंड लि. और उसकी सहायक कंपनियों को कथित तौर पर विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा है। एम्मार एमजीएफ और उसकी अन्य इकाइयों पर 8,600 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। यह देश के रीयल एस्टेट क्षेत्र में किसी कंपनी पर लगाया गया सबसे बड़ा जुर्माना है।
एजेंसी ने समूह द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने के मामले की जांच 2010 में शुरू की थी। प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि कंपनी ने इस बारे में रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया है। ऐसे में वह विदेशी विनियम प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत विदेशी विनियम नियमों के उल्लंघन की दोषी है।
निदेशालय ने दावा किया कि उसने अपनी जांच में पाया कि समूह ने रिजर्व बैंक को बताया था कि वह भारत में एफडीआई निर्माण संबंधी परियोजनाओं के विकास के लिए ला रहा है। लेकिन उसने इसका इस्तेमाल कृषि भूमि की खरीद के लिए किया जो बैंकिंग और एफडीआई नियामक द्वारा तय नियमों का उल्लंघन है।
एम्मार एमजीएफ के प्रवक्ता ने इस पर ईमेल से भेजे जवाब में कहा, ‘हमने सरकारी अधिकारियों से किसी तरह की सूचना नहीं मिली है। ऐसे में हम टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं। हम जोर देकर कहते हैं कि कंपनी ने कारपोरेट संचालन के ऊंचे मानकों का हमेशा पालन किया है और साथ ही कानून का पालन किया है।’
सूत्रों ने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि उन उल्लंघनांे के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई भी शुरू की जाएगी जिससे कुल जुर्माना राशि 25,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। जो कि उल्लंघन के तीन गुना के बराबर है। एजेंसी ने जांच में पाया कि कंपनी और उसकी चार सहायक इकाइयों को दुबई, साइप्रस, मारीशस तथा अन्य देशों से रिजर्व बैंक की एफडीआई योजना के तहत यह राशि मिली। कंपनी को 2005 से इस योजना के तहत करीब 8,600 करोड़ रुपये की राशि मिली।
एम्मार एमजीएफ लैंड लि. दुबई की एम्मार प्रापर्टीज तथा भारत की एमजीएफ डेवलपमेंट लि. का संयुक्त उद्यम है।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आदेश में कहा कि रिजर्व बैंक की योजना में भारतीय कंपनियों को स्वत: मंजूर मार्ग से कारोबारी गतिविधियों के लिए विदेशों से धन जुटाने की अनुमति है। इसमें निर्माण विकास परियोजनाएं भी शामिल हैं। इस तरह की सुविधा में एम्मार एमजीएफ और उसकी सहायक इकाइयों को यह बताना था कि उसने किस उद्देश्य से एफडीआई हासिल किया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया कि कंपनी और उसकी सहायक इकाइयों ने कहा था कि इस एफडीआई का इस्तेमाल निर्माण विकास परियोजनाओं में किया जाएगा। इसके बजाय कंपनी ने इस राशि का इस्तेमाल भारत में कृषि भूमि और भूमि की खरीद पर किया। ऐसे में कंपनी ने इस राशि का इस्तेमाल उस कारोबार में किया जिसके बारे में रिजर्व बैंक को जानकारी नहीं दी गई थी और न ही इसकी रिजर्व बैंक की एफडीआई योजना में अनुमति है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 4, 2013, 22:48