Last Updated: Saturday, September 15, 2012, 23:27

नई दिल्ली : परियोजनाओं को लागू करने में विलंब को लेकर चिंतित वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने वृहद परियोजनाओं को मंजूरी देने में तेजी लाने के लिए प्रधानमंत्री की अगुवाई में एक राष्ट्रीय निवेश बोर्ड गठित करने का आज सुझाव दिया।
योजना आयोग की पूर्ण बैठक में चिदंबरम ने कहा, ‘बोर्ड के पास एक निश्चित सीमा, मसलन 1,000 करोड़ रुपये से ऊपर के निवेश प्रस्तावों, परियोजनाओं को मंजूरी का अधिकार होना चाहिए।’ ‘राष्ट्रीय निवेश बोर्ड द्वारा अंतिम निर्णय कर लिए जाने के बाद कोई भी अन्य मंत्रालय या विभाग या प्राधिकरण को उस निर्णय में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए।’ चिदंबरम ने अफसोस जाहिर किया कि मौजूदा व्यवस्था के तहत ‘एक सही अंतिम निर्णय कई सालों तक नहीं हो पाता।’
उन्होंने कहा कि 11वीं योजना में लक्ष्य हासिल नहीं हो पाने की मुख्य वजह भौतिक लक्ष्यों को हासिल करने में विफलता है। वित्त मंत्री ने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि योजनावधि में बिजली उत्पादन क्षमता में 55,000 मेगावाट की बढ़ोतरी की जा सकी, जबकि लक्ष्य 78,700 मेगावाट का था। इसी तरह, कोयला, कच्चा तेल, गैस और रेलवे जैसे अन्य क्षेत्रों में लक्ष्य से चूक हुई।
चिदंबरम ने कहा कि इन समस्याओं से पार पाने के लिए मैं अनुरोध करूंगा कि हमें कैबिनेट स्तर पर एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए जो प्रमुख निवेश प्रस्तावों विशेषकर ढांचागत क्षेत्र में निवेश प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय कर सके। उन्होंने कहा, ‘अंतिम निर्णय करने का अधिकार प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले राष्ट्रीय निवेश बोर्ड में निहित होना चाहिए और इस तरह की प्रणाली स्थापित करने के लिए कारोबारी नियमों के आवंटन में संशोधन किया
जाना चाहिए।’ (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 15, 2012, 23:27