Last Updated: Tuesday, July 30, 2013, 12:47

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये के अवमूल्यन को देखते हुए मंगलवार को अपनी मुख्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इसके साथ ही बैंक ने स्वीकार किया कि विकास के सामने जोखिम में वृद्धि हुई है और खुदरा बाजार में महंगाई उच्च स्तर पर बरकरार है।
मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रिपर्चेज दर या रेपो दर को 7.25 फीसदी पर बरकरार रखा, इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी 6.25 फीसदी के पुराने स्तर पर बनी रही। रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं, वहीं रिवर्स रेपो दर वह दर है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंक से उधार लेती है।
आरबीआई ने कहा है रपए को संभालने के लिए उसने बैंकिंग तंत्र में नकदी कम करने के लिए हाल में जो सख्त उपाय किए है उन्हें विदेशी विनिमय बाजार के स्थिर हो जाने के बाद धीरे-धीरे वापस ले लिया जाएगा। बैंक ने कहा है कि विदेशी मुद्रा बाजार में स्थिरता कायम कर लेने के बाद वह पुन: मुद्रास्फीति के प्रति सतर्कता बरते हुए आर्थिक वृद्धि में मदद की नीति पर लौट आएगा।
आरबीआई मुद्रास्फीति को मार्च तक पांच प्रतिशत पर बरकरार रखने को कोशिश करेगा। उसका कहना है कि रपए में कमजोरी से मुद्रास्फीति पर दबाव का खतरा बढ रहा है। नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को भी चार फीसदी पर बरकरार रखा गया। वाणिज्यिक बैंक अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित अनुपात आरबीआई में जमा रखते हैं, इसे ही सीआरआर कहते हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 30, 2013, 11:16