RBI ने दिए दरों में कटौती के संकेत

RBI ने दिए दरों में कटौती के संकेत

RBI ने दिए दरों में कटौती के संकेतमुंबई : आर्थिक वृद्धि में गिरावट की आशंका से चिंतित रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में कटौती के संकेत देते हुए सोमवार को कहा कि ऊंची मुद्रास्फीति रहने के बावजूद वह आर्थिक वृद्धि को समर्थन के लिए कदम उठाएगा।

रिजर्व बैंक ने जारी वृहद आर्थिक एवं मौद्रिक परिवेश समीक्षा में कहा है,मौद्रिक नीति समीक्षा में सावधानी बरतने की आवश्यकता है, मुद्रास्फीति पर गौर करते हुए उपलब्ध संसाधनों का आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए हर संभव उपयोग किया जाना चाहिए।’

रिजर्व बैंक ने कहा है पेशेवर विशेषज्ञों के सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि की दर 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। इसके साथ ही औसत थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान भी 7.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.7 प्रतिशत कर दिया गया।

इसमें कहा गया है कि अग्रिम और उभरती दोनों ही अर्थव्यवस्थाओं के मामले में वैश्विक आर्थिक वृद्धि कमजोर हुई है। यूरो क्षेत्र के संकट ने व्यावसायिक विश्वास को प्रभावित किया है जिससे वैश्विक व्यापार में नरमी आई है।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार के सुधारों के प्रयासों की निरंतरता बनाये रखना आर्थिक गतिविधियों में सुधार आने के पहले से दिखने वाले लक्षण हैं। सरकार ने हाल ही में सुधारों को बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। डीजल के दाम में पांच रुपए की वृद्धि की गई। खुदरा, पेंशन, बीमा और सूचना एवं प्रसारण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश खोला गया अथवा उसकी सीमा बढ़ाई गई।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की पिछली समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों में तो कोई बदलाव नहीं किया लेकिन उसने बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जिससे कि बैंकिंग तंत्र में 17,000 करोड़ रुपए की नकदी की उपलब्धता हुई।

केन्द्रीय बैंक ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक सुधारों को बढ़ाने की दिशा में हाल में उठाए गए कदमों से वृद्धि में गिरावट का दौर थमा है, लेकिन उसने पुनरोत्थान के लिए सरकार की विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और अवसंरचना क्षेत्र में खड़ी अड़चनों को दूर करने पर जोर दिया है।

रिजर्व बैंक ने कहा है,‘बिजली, कोयला और सड़क क्षेत्र में लंबित अड़चनों को दूर किए जाने की आवश्यकता है। आर्थिक पुनरोत्थान के लिए राजकोषीय मजबूती और ढांचागत निवेश के रास्ते की अड़चनों को दूर किया जाना काफी महत्वपूर्ण है।’

इसके अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय लक्ष्य फिसल सकते हैं। राजकोषीय घाटा 5.1 प्रतिशत के बजट अनुमान से आगे बढ़ सकता है और वर्ष के अंतिम आंकड़े पिछले साल के 5.8 प्रतिशत से बेहतर नहीं होंगे। आर्थिक वृद्धि के मामले में रिजर्व बैंक ने कहा है कि यह उसके जुलाई में लगाये गये 6.5 प्रतिशत के अनुमान से नीचे आ सकती है, हालांकि वर्ष के आखिरी महीनों में सुधार होगा।

वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इससे पहले राजकोषीय मजबूती के लिये एक पांच वर्षीय कार्ययोजना तैयार की है जिसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान कर सुधारों और व्यय प्रबंधन के जरिये राजकोषीय घाटे को 5.3 प्रतिशत पर नियंत्रित रखा जायेगा। इस साल के बजट में राजकोषीय घाटे को 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर माह में 7.81 प्रतिशत रही है। यह रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के सामान्य स्तर 5 से 6 प्रतिशत से काफी ऊपर है। (एजेंसी)

First Published: Monday, October 29, 2012, 23:58

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