Last Updated: Saturday, September 24, 2011, 06:54
नई दिल्ली. दुनिया से जाते- जाते मंसूर अली खां पटौदी अपनी बची हुई एक आंख भी दान कर गए. लोग भले हीं उन्हें टाइगर के नाम से बुलाते थे पर उनका दिल एक आम आदमी की तरह था.
इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है कि पटौदी की सिर्फ एक आंख थी और वह भी उन्होंने मरनोपरांत दान कर दी. पटौदी की दायीं आंख एक कार हादसे में हमेशा के लिए खराब हो गई थी. तब वो 20 साल के थे और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे थे.
गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर सुमित राय के अनुसार पटौदी ने अपनी आंख दान करने का फैसला एक हफ्ते पहले ही किया था. तब वो पूरी तरह होश में थे. गुरूवार सुबह उनकी पत्नी शर्मिला टैगोर ने इस बारे में हमें जानकारी दी.
परिवार की सहमति से ही पटौदी की मौत के बाद उनकी बांयीं आंख को कुछ घंटों में ही निकालकर अस्पताल के आई बैंक में रख दिया गया ताकि किसी जरूरतमंद को ये आंखें लगाई जा सके.
(एजेंसी)
First Published: Saturday, September 24, 2011, 12:29