Last Updated: Saturday, August 17, 2013, 17:10
नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने दागी व्यक्तियों के भारतीय ओलंपिक संघ का चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के अपने फैसले को बदलने से इनकार करते हुए कहा कि आईओए के ऐतराज को मानना ओलंपिक चार्टर की अहमियत कम करने जैसा होगा। आईओसी ने आईओए के संविधान का संशोधित मसौदा वापिस भेज दिया था। आईओसी ने उन व्यक्तियों के आईओए का चुनाव लड़ने पर रोक लगाई है जिनके खिलाफ आरोप पत्र दायर हो चुका है । आईओए ने यह कहकर इस प्रावधान पर ऐतराज जताया था कि ऐसे मसलों में भारतीय कानून प्रभावी होगा।
आईओसी ने हालांकि आईओए के खिलाफ कार्रवाई की परोक्ष चेतावनी देते हुए कहा कि उस पर निलंबन पहले ही लगा हुआ है लिहाजा उसे आईओसी की शर्तें मानने के लिये जिम्मेदारी से काम करना चाहिये। आईओसी ने एक पत्र में लिखा, आईओसी ने इस सिद्धांत पर कभी सवाल नहीं उठाया कि आरोपी साबित होने तक व्यक्ति निर्दोष रहता है। लेकिन आईओसी की आचार संहिता में साफ तौर पर लिखा है कि ओलंपिक से जुड़े पक्षों को आईओसी आचार संहिता का सम्मान करना चाहिये जिसमें लिखा है कि ऐसा कोई काम नहीं किया जाये जिससे ओलंपिक आंदोलन की साख को ठेस पहुंचे। आईओए अभी तक निलंबित है लिहाजा उसे जिम्मेदारी से काम करके संशोधित संविधान को अपनाना चाहिये।
आईओसी महानिदेशक क्रिस्टोफ डे केपर ने लिखा, प्रस्तावित प्रावधान की यह शब्दावली कि भारतीय ओलंपिक संघ से जुड़े सभी मसलों में भारत का कानून प्रभावी होगा स्वीकार्य नहीं है क्योंकि इससे ओलंपिक चार्टर और आईओए संविधान की अहमियत कम होती है। इसमें कहा गया, इसलिये यह कहा जाना चाहिये कि भारतीय ओलंपिक संघ आईओए संविधान, ओलंपिक चार्टर और देश के कानून के अनुरूप काम करेगा। इसमें कहा गया, आईओसी के प्रावधान के तहत भारत में किसी भी अदालत द्वारा किसी व्यक्ति के खिलाफ गंभीर आपराधिक या भ्रष्टाचार मामले में अगर आरोप पत्र दायर हुआ है तो वह आईओए का चुनाव नहीं लड़ सकता। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 17, 2013, 17:10